नोएडा सोसाइटी का विवादित आदेश: लिव-इन कपल्स से मांगा सहमति या विवाह प्रमाण पत्र
नोएडा: नोएडा के सेक्टर-99 स्थित सुप्रीम टावर सोसाइटी में एक ऐसा फरमान जारी किया गया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है। सोसाइटी के एओए (अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन) अध्यक्ष ने लिव-इन में रहने वाले कपल्स को लिखित सहमति या विवाह प्रमाण पत्र जमा करने का निर्देश दिया है। यह आदेश सोसाइटी के निवासियों में चर्चा और विवाद का कारण बन गया है।
फरमान का विवरण
एओए अध्यक्ष ने निजी स्तर पर यह निर्देश जारी किया, जिसे उन्होंने सोसाइटी के ‘सामाजिक और नैतिक’ व्यवस्था को बनाए रखने की पहल बताया। उनके अनुसार, यह कदम भविष्य में किसी प्रकार के विवाद को रोकने के लिए उठाया गया है। आदेश में स्पष्ट किया गया कि किरायेदारों के विवरण के साथ सहमति पत्र या विवाह प्रमाण पत्र को सोसाइटी कार्यालय में जमा करना अनिवार्य होगा।
निवासियों की प्रतिक्रिया
सोसाइटी के कई सदस्य इस आदेश से असहमत हैं। उनका कहना है कि एओए अध्यक्ष ने इस निर्णय को बोर्ड की सहमति के बिना जारी किया है। निवासियों का यह भी कहना है कि यह आदेश उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
विधि विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के आदेश कानूनी रूप से लागू करना मुश्किल है। यह आदेश सीधे तौर पर व्यक्तियों की स्वतंत्रता और निजी जीवन में हस्तक्षेप करता है।
एओए अध्यक्ष का बयान
अध्यक्ष का कहना है कि यह आदेश केवल शांति और सुरक्षा बनाए रखने के उद्देश्य से जारी किया गया है। हालांकि, जब अन्य निवासियों ने सवाल उठाए, तो उन्होंने इसे निजी प्रयास बताया और कहा कि यह आदेश कोई बाध्यकारी नियम नहीं है।
पहले भी उठा है ऐसा मुद्दा
सोसाइटी में लिव-इन कपल्स को लेकर पहले भी चर्चाएं होती रही हैं। कुछ निवासियों का मानना है कि यह आदेश पुराने मुद्दों का परिणाम है। हालांकि, इस तरह के किसी आदेश का औपचारिक विरोध किया जा सकता है।
विवाद बढ़ने की संभावना
सोसाइटी के कुछ निवासियों ने इस आदेश को वापस लेने की मांग की है। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो मामला और तूल पकड़ सकता है।
सोशल मीडिया पर हो रही है चर्चा
यह खबर सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है, जहां इसे लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कई लोग इसे अनावश्यक हस्तक्षेप कह रहे हैं, तो कुछ इसे सकारात्मक पहल मान रहे हैं।
क्या सोसाइटी के एओए का यह कदम वाकई सुरक्षा और नैतिकता के नाम पर उठाया गया एक जरूरी कदम है, या यह लोगों की निजता का अतिक्रमण है? यह तो आने वाले समय में स्पष्ट होगा।