Noida : डॉलफिन के आस्तित्व पर खतरा! आरटीआई में कई चौंकाने वाले हुए खुलासे
Noida : राष्ट्रीय जलीय जीव गंगा डॉलफिन का शिकार देश में फिर से बढ़ने लगा है। गौरतलब है की शहर के समाजसेवी एवं पर्यावरणविद रंजन तोमर द्वारा लगाई गई आरटीआई में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इससे पहले 2019 में लगाई गई आरटीआई में यह जानकारी मिली थी के 2014 से लेकर 2019 तक एक भी गंगा डॉलफिन का शिकार नहीं हुआ था जबकि उससे पहले पांच वर्षों में 6 डॉलफिन का शिकार देश भर में हुआ था।
हालही में डाली गई आरटीआई में 2000 से लेकर 2023 तक की जानकारी मांगी गई थी, जिसके जवाब में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने जानकारी दी है कि 2000 में कुल 3 डॉलफिन का शिकार हुआ। जिसमें दो पश्चिम बंगाल में मारी गईं और एक भी शिकारी को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई। वहीं, एक शिकार आसाम में हुआ जहां एक शिकारी को गिरफ्तार किया गया। 2021 में 2 शिकार हुए जिनमें से एक उत्तर प्रदेश में हुआ और 4 शिकारी पकडे गए और एक केरल में हुआ। जिसमें एक शिकारी गिरफ्तार हुआ। 2022 में एक भी शिकार नहीं हुआ जबकि 2023 में अबतक उत्तर प्रदेश में एक शिकार हुआ जिसमें 5 शिकारी पकडे गए। 2014 से 2019 तक का समय जिसमें एक भी शिकार नहीं हुआ और अब 2020 से 2023 तक 6 डॉलफिन मारी गई हैं।
रंजन तोमर का कहना है कि भारत में डॉल्फिन का शिकार, दुर्घटना और उसके आवास से की जा रही छेड़छाड़ से इस जीव के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। डॉल्फिन स्वच्छ व शांत जल क्षेत्र को पसंद करने वाली प्राणी है। दो दशक पूर्व भारत में इनकी संख्या 5,000 के आस-पास थी, वहीं वर्तमान में यह संख्या घटकर करीब डेढ-दो हजार रह गई है। ब्रह्मपुत्र नदी में भी जहां 1993 में प्रति सौ किलोमीटर में औसत 45 डॉल्फिन पाई जाती थी वहीं यह संख्या 1997 में घटकर 36 रह जाना इस अनोखे जीव की संख्या में तेजी से कमी की सूचना देता है। भारत में नदी की गहराई कम होने और नदी जल में उर्वरकों व रसायनों की अत्यधिक मात्रा मिलने से भी डॉल्फिन के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।
बता दें कि डॉल्फिन का शिकार अधिकतर उसके तेल के लिये किया जाता है। अब वैज्ञानिक डॉल्फिन के तेल की रासायनिक संरचना जानने का प्रयत्न करने में लगे हुए हैं, ताकि वैकल्पिक तेल के निर्माण से डॉल्फिन का शिकार रूक जाए। भारत में डॉल्फिन के शिकार पर कानूनी रोक लगी हुई है। हमारे देश में इनके संरक्षण के लिये बिहार राज्य में गंगा नदी में विक्रमशिला डॉल्फिन अभ्यारण्य बनाया गया है। यह अभ्यारण्य सुलतानगंज से लेकर कहलगाँव तक के 50 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।