Noida Twin tower demolation: जानिये, उस इंसान के बारे में जिसने लड़ी सुपरटेक से कानूनी जंग ?
कुतुबमीनार से भी ऊंचे थे दोनों टावर, ध्वस्त होने में लगा मात्र 14 सेकेंड
नोएडा। दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा में सुपरटेक द्वारा बनवाए गए ट्विन टावर को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। दोनों टावर कुतुबमीनार से भी ऊंचे थे। उन्हें 14 सेकंड में में ही ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन’ तकनीक से ध्वस्त किया गया।
तेवतिया ने लड़ी कानूनी लड़ाई
यूबीएस तेवतिया ने सुपरटेक बिल्डर के खिलाफ करीब 10 वर्ष से भी अधिक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। अब जबकि ट्विन टावर को पूरी तरह से ढहा दिया गया है तो इस मौके पर तेवतिया बेहद खुश थे। एमराल्ड कोर्ट में रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) के अध्यक्ष तेवतिया ने मीडिया कर्मियों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि जिसके लिए यह लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी वह समय अब आ गया और टावर को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है।
2012 में याचिका दायर की
यूबीएस तेवतिया बताते हैं कि हमने वर्ष 2012 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। हमें खुशी है कि 10 साल की इस लंबी लड़ाई लड़ने के बाद हमें जीत मिली है। इन टावरों की ध्वस्तीकरण का लाभ तीन महीनों में दिखने लगेगा। इसी के साथ ही उन्होंने कहा कि अब यहां आसपास की 15 टावरों में रहने वाले लोग खुलकर सांस ले सकेंगे। इन्हें अच्छी धूप मिल सकेगी।
सुपरटेक ने झूठ बोला था
सुपरटेक ट्विन टॉवर के खिलाफ उनकी आपत्ति को लेकर सवाल पर तेवतिया ने बताया कि सुपरटेक बिल्डर ने रेजिडेंट्स से झूठ बोला था। उन्होंने कहा था कि ये दो अलग प्रोजेक्ट हैं, जबकि ट्विन टावर भी इसी 15 टावर वाले प्लॉट में बनाए जा रहे थे। इसी के साथ ही उन्होंने बताया कि ट्विन टॉवर में बदलाव के लिए परिसर के लेआउट में बदलाव के लिए रेजिडेंट्स ने उन्होंने कोई बातचीत नहीं थी।
उन्होंने कहा कि यहां दो टावरों के बीच कम से कम 16 मीटर की दूरी होनी चाहिए ताकि सभी फ्लैटों को हवा और धूप मिल सके। साथ ही आग लगने पर दूसरी टावर चपेट में न आएं लेकिन इन्होंने दूसरे टॉवर से महज 9 मीटर की दूरी पर ट्विन टावर खड़ी कर दी जो यहां के निवासियों के अधिकारों से खिलवाड़ है।
क्या कहते हैं सुपरटेक के मालिक
सुपरटेक के मालिक आरके अरोड़ा ने एक बयान जारी कर कहा कि ट्विन टावर एपेक्स और सियान नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा आबंटित जमीन पर बनाए गए थे। दोनों टावरों सहित प्रोजेक्ट के बिल्डिंग प्लान को 2009 में नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा अनुमति दी गई थी। इसमें राज्य सरकार द्वारा घोषित तत्कालीन बिल्डिंग बायलाज का सख्ती से पालन किया गया था। बिल्डिंग प्लान के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी और प्राधिकरण को पूरा भुगतान के बाद ही बिल्डिंग का निर्माण किया था। सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी स्तर पर निर्माण को सही नहीं मानते हुए दोनों टावरों को गिराने का आदेश जारी किया था। हमने कोर्ट के आदेशों का सम्मान किया और ध्वस्तीकरण के लिए दुनिया के नामी एजेंसी एडिफिस इंजीनियरिंग को चुना।