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ओम अजनाराय दुर्बुद्धि स्वाहा, से यज्ञ मे दी आहुति

अजनारा होम्स के निवासियों ने बिल्डर की सद्बुद्धि के लिए यज्ञ

नोएडा। ग्रेटर नोएडा के “अजनारा होम्स” सोसाइटी में बिल्डर की बुद्धि शुद्धि के लिए शनिवार को “अजनारा बिल्डर सद्बुद्धि यज्ञ” का पूरे विधि विधान से आयोजित किया गया।

अजनारा होम्स के निवासियों ने बिल्डर की दुर्बुद्धि नष्ट होने और उनकी सद्बुद्धि के लिए हवन में अपने हिस्से की आहुति दी। यहां के निवासियों का आरोप है कि मेंटेनेंस के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये बिल्डर डकार जाता है। इसके बावजूद शायद ही कोई काम समय पर हो जाए। अगर रिसेप्शन का दरवाजा टूट गया तो महीनों तक टूटा ही रहता है। सोसाइटी के अंदर की खराब लाइट बदलने से पहले बाहर सड़क की खराब स्ट्रीट लाइट बदल जाती है। अजनारा द्वारा प्रदत्त सुविधाएं लोट्स और जेएलएल के नेतृत्व में नित्य नए रिकॉर्ड बना रही हैं। खराब सर्विस के, काम न करने के बहाने के, निवासियों को परेशान करने के।

यहां के निवासी उस पौधे की रखरखाव के पैसे देने को मजबूर हैं जो कभी लगा ही नहीं। फ्लैटों में रहने वाले उस क्षेत्र में झाड़ू लगाने और सफाई के पैसे देते हैं जो कभी बना ही नहीं। उन झूलों के मेंटेनेंस और रिप्लेसमेंट के पैसे देते हैं जो अभी तक लगा ही नहीं।

बिल्डर ने आजतक चिन्हित जगह पर बच्चों के लिए झूले नहीं लगवाए। एक अस्थाई कामचलाऊ स्विंग से आज तक काम चल रहा है।

यहां के निवासियों को शिकायत है कि निर्धारित बेसमेंट लॉबी बनी ही नहीं, अब किसी तरह लीपापोती कर रहे हैं। इसके बाद भी बेसमेंट झील बना रहता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि साफ पानी जमा होने से एक समय, पिछले साल, सोसाइटी में 60 से ज्यादा डेंगू के मरीज हो गए थे। इस बार भी हालत कुछ वैसी ही होने की उम्मीद है।

बेसमेंट पार्किंग पूरी तरह से तैयार नहीं होने से आए दिन पार्किंग को लेकर झगड़े होते रहते हैं लेकिन मजाल है कि बिल्डर या मेंटेनेंस एजेंसी की कान पर जूं रेंग जाए?

क्लब के नाम पर बिल्डर ने एक स्ट्रक्चर खड़ा कर दिया है। जो भी सुविधाएं वादे के अनुरूप दी जानी थीं वे जाने कहां गायब हो गईं। अपनी आमदनी के लिए बुकिंग हॉल खोल दिया है बिल्डर ने, वह भी मनमाना चार्ज वसूल के, तुर्रा ये कि जाने वाली सीढ़ियों की फिनिशिंग तक नहीं हुई, कोई यहां आने वाला क्या सोचेगा ये देख के? क्या बिल्डर के पास चंद सीढियां बनाने के पैसे नहीं? अगर ऐसा है तो खुद को दिवालिया घोषित क्यों नहीं करता?  बिल्डर को बेदखल करके अथॉरिटी काम पूरा क्यों नहीं करवाती।

 

फेस 3 (टावर ओ और टावर एन) में बिना ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट के पोजेशन देकर बिल्डर ने रेरा, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, जिला प्रशासन और सरकार को आईना दिखाया है।

क्या बिल्डर इतना मजबूत है कि बिना अग्निशमन उपकरण के ही निवासियों की सुरक्षा से बेपरवाह सारे नियम कानून दिन दहाड़े तोड़ रहा है और प्रशासन कुछ नहीं कर पा रहा?

कहां हैं फायर ऑफिसर्स? उन्हें बार बार शिकायत के बाद भी ये क्यों नजर नहीं आता? उनकी इतनी इंस्पेक्शन के बाद क्या कार्यवाही हुई?

 

आपको सोसाइटी की हालत गेट के बाहर से ही दिखाई देने लगती है। लटकते ट्यूब लाइट्स। टूटा फूटा साइनेज। टूटी कुर्सियां। बाहर से झड़ता प्लास्टर, सालों से बिना पेंट के पड़ी बिल्डिंग, टूटे टाइल्स। इतना मेंटेनेंस जो जबरदस्ती प्रीपेड मीटर से वसूला जाता है, एनपीसीएल द्वारा नोटिस के बावजूद वो कहां जाता है?

इलेक्ट्रिसिटी और डीजी के फिक्स्ड चार्ज का खेल जगजाहिर है। जितना लोड निवासियों को बेचा जाता है उससे कई गुना कम लोड एनपीसीएल से लिया गया है। फिर जो फिक्स्ड चार्ज निवासियों से लिया जाता है उसका हिसाब कहां है?

डीजी का लोड जितना बेचा गया है उससे कई गुना कम कैपेसिटी इंस्टॉल है साइट पर। लोगों का लोड बस कागजों में बढ़ा है। गर्मी आते ही असलियत बाहर आ जाती है। बड़ा आश्चर्य ये है कि जो कैपेसिटी इंस्टॉल ही नहीं है उसपर भी हर महीने फिक्स चार्ज लिया जाता है।

प्रशासन की नाक के नीचे आवेश वसूली और वित्तीय अनियमितता हो रही है। आधी अधूरी सुविधाओं के साथ भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगाता बिल्डर केंद्र की बनाई रेरा और राज्य के अथॉरिटी प्रशासन को खुली चुनौती दे रहा है। क्या सद्बुद्धि यज्ञ के बिल्डर सुधरेगा? क्या बिल्डर की दुर्बुद्धि स्वाहा होगी? क्या प्रशासन और अथॉरिटी जागेगी?

भरोसा कम है, लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है। निवासियों को उम्मीद है कि आगजनी की किसी बड़ी घटना से पहले अग्निरोधी उपकरण काम करने लगेंगे।

छत की टाइलें लग जाएंगी। बेसमेंट बन जायेगा। बची लिफ्टन लग जाएंगी। बच्चों के झूले लग जायेंगे। पार्क और क्लब पूर्ण होंगे।

रजिस्ट्री चालू होगी, टावर एन/ओ का ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट मिलेगा। गेट नंबर 1, चालू होगा। निवासियों को सोसाइटी का हैंडओवर दे दिया जाएगा।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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