One Nation One Election : लोकसभा में पेश किया ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक, बहुमत से स्वीकार किया गया बिल
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New Delhi News : संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ने आज (17 दिसंबर 2024) लोकसभा के भीतर ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पेश किया। इस विधेयक के जरिए सरकार का उद्देश्य भारत में सभी चुनावों को एक साथ आयोजित करना है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को दो महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी दी थी। इनमें संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक, 2024और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 शामिल हैं। दोनों विधेयक सोमवार (16 दिसंबर 2024) को पेश किए जाने थे, लेकिन बाद में सरकार ने अपने फैसले में बदलाव करते हुए इन विधेयकों को आज पेश किया।
ज्वॉइन्ट पार्लियामेंट कमेटी में भेजा जाएगा बिल
संसद के निचले सदन में विपक्ष के विरोध के बाद ई-वोटिंग कराई गई जिसमें विधेयक के पक्ष में 269 वोट प्राप्त हुए जबकि 198 वोट बिल के खिलाफ पड़े। हालांकि यह बिल ज्वॉइन्ट पार्लियामेंट कमेटी (जेपीसी) को भेजा जाएगा, जिसके बाद जेपीसी सुझाव देगी और इस पर एक नया बिल पेश किया जाएगा। लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का क्या है मतलब?
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का प्रस्ताव यह है कि भारत में लोकसभा, विधानसभा, पंचायत और निकाय चुनाव सभी एक साथ आयोजित किए जाएं। वर्तमान में यह चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे प्रशासनिक बोझ, खर्च और समय की बचत होती है। मोदी सरकार का यह मानना है कि एक साथ चुनाव होने से देश की चुनावी प्रक्रिया को ज्यादा प्रभावी और व्यवस्थित बनाया जा सकेगा।
चुनावों में समय और संसाधनों की बचत
यदि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की नीति को लागू किया जाता है, तो इससे चुनावों के आयोजन में खर्च और समय की बचत होगी। साथ ही, यह राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करने में भी मदद करेगा क्योंकि सभी चुनाव एक निर्धारित समय पर होंगे, जिससे केंद्र और राज्य सरकारों की कार्यकाल की समाप्ति के समय पर कोई अस्थिरता नहीं होगी।
संविधान में संशोधन की आवश्यकता
इस योजना को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन जरूरी होगा। सरकार ने इसके लिए संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक पेश किया है, जिसके माध्यम से चुनावों के एक साथ आयोजित होने की कानूनी प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। अब, इस विधेयक के पारित होने के बाद, सरकार को संविधान के प्रावधानों में बदलाव के लिए संसद से मंजूरी प्राप्त करनी होगी। इसके बाद ही देश में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की प्रक्रिया को लागू किया जा सकेगा, जो चुनावी खर्चों और संसाधनों को कम करने का एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।