सिटी बस टर्मिनल प्रोजेक्ट में केवल एक कंपनी ने दिखाई रुचि : नोएडा प्राधिकरण ने 157 करोड़ में बनाया, किराए पर लेने को भी कंपनियां नहीं तैयार
Noida News : नोएडा के सेक्टर 82 में बने सिटी बस टर्मिनल, की खाली इमारत को किराए पर देने की तैयारी लंबे समय से चल रही है। नोएडा प्राधिकरण द्वारा समय समय पर टेंडर निकाला जाता है। जब कोई कंपनी रुचि नहीं दिखाती तो तारीख आगे बढ़ जाती है। 26 दिसंबर को खोले गए बीड में भी केवल एक कंपनी ने ही रुचि दिखाई। वो है इंडियन सेनिटेशन वार्ड बॉय और हॉर्टिकल्चर कॉन्ट्रेक्टर। ‘सीटी बस टर्मिनल’ की हालत खस्ता दिख रही है। ना सरकार इसके मेंटेनेंस का खर्च उठा पा रही है, ना ही प्राधिकरण को राजस्व का लाभ मिल रहा है और ना ही कोई किराए पर लेने को तैयार नजर आ रहा है।
बता दें इमारत को किराए पर देने के लिए प्राधिकरण ने कंपनियों से आवेदन मांगे थे। इसके लिए कॉरपोरेट ऑफिस, को वर्किंग स्पेस समेत हॉस्पीटल कंपनियां आवेदन कर सकती थी। 3 दिसंबर को प्री-बिड की बैठक हुई थी, जिसकी कुछ कंपनियों के सवालों पर चर्चा की गई। कंपनियां 17 दिसंबर तक आवेदन कर सकती थी बाद में इसकी तारीख आगे बढ़ाई गई। 26 दिसंबर को को प्रपोजल पर चर्चा हुई, जिसमें केवल एक कंपनी ने रुचि दिखाई।
पूरा मामला समझिए
बता दें उत्तर प्रदेश सरकार के डिमांड पर नोएडा के सेक्टर 82 में प्राधिकरण द्वारा सिटी बस टर्मिनल का निर्माण साल 2015 में शुरू हुआ। साल 2022 के सितंबर महीने में इसका उद्घाटन सीएम योगी द्वारा किया गया। लेकिन कुछ महीने बाद ही सरकार अब मेंटेनेंस का खर्च नहीं उठा पा रही है। जिस वजह प्राधिकरण अब वित्तीय नुकसान से बचने के लिए इस टर्मिनल की खाली इमारतों को किराए पर दे रही है।
तीन सालों में केवल 4 बसों का होता है संचालन
बता दें इमारत तैयार होने के बाद प्राधिकरण ने इसे हैंड ओवर करने के लिए परिवहन निगम से संपर्क किया था। लेकिन निगम ने पूरी इमारत टेक ओवर करने से ही इनकार कर दिया था। खानापूर्ति के लिए दादरी और बुलंदशहर के लिए 4 बसें चलवानी शुरू की। दावा किया था इन बसों की संख्या बढ़ाकर 50 की जाएगी लेकिन तीन साल बाद भी 4 बसें ही टर्मिनल से चल रही हैं।
157 करोड़ रुपए की लागत से बना है सिटी बस टर्मिनल
सिटी बस टर्मिनल 30 हजार 643 वर्ग मीटर एरिया में बना हुआ है। सिटी बस टर्मिनल का काम जनवरी 2015 में शुरू हुआ था। इसकी पहली डेडलाइन जुलाई 2016 थी लेकिन जमीन विवाद और मामला न्यायालय में चले जाने के कारण काम रुक गया। इसके बाद इसका काम सितंबर 2022 में जाकर पूरा हुआ। ये 157 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हुई थी।