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रायः ब्याज दरों में बढ़ोतरी व्यापार हित में नहींः सुशील कुमार जैन

व्यापारी नेता कहा, जब व्यापार करने का मौसम शुरू हुआ तब रिजर्व बैंक ने ब्याज की दरें बढ़ाने का ऐलान कर दिया

नोएडा। सेक्टर 18 मार्केट एसोसिएशन नोएडा के अध्यक्ष सुशील कुमार जैन ने कहा कि ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी किसी भी तरह व्यापार हित में नहीं है। यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि कोविड-19 की महामारी के कारण भयंकर मंदी के व्यापार के बाद, इस साल व्यापार में रौनक देखने की संभावना है। लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जब व्यापार करने का मौसम शुरू हुआ, ऐसे वक्त रिजर्व बैंक ने ब्याज की दरें बढ़ाने का ऐलान कर दिया।

दूरगामी परिणाम होंगे

उन्होंने कहा कि ब्याज की दर बढ़ने के दूरगामी परिणाम होते हैं। इससे रुपया महंगा हो जाता है। जिस वजह से कर्ज लेना महंगा पड़ता है। हमें अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में खड़ा होना है। अगर देश में बिजली महंगी है, पैसा महंगा है, तो अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में हमारी वस्तुओं की कीमतें कैसे व्यवहारिक रह पाएगी। हम अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में कहां रह पाएंगे। इससे हमारा व्यापार करना प्रतिस्पर्धा के कारण घाटे मे चला जाएगा।

कर्ज नहीं लेने का कारण समझना होगा

उन्होंने कहा कि लगातार समाचार मिल रहे हैं कि बहुत से लोग बैंकों से कर्ज नहीं ले रहे हैं या कम कर्ज ले रहे हैं। ऐसा क्यों हो रहा है। यह समझना भी जरूरी है। आज देश में जरूरत है अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने की। ऐसे समय में ब्याज की दरें बढ़ाना व्यापार के लिए, देश के लिए गलत हो सकता है। ब्याज की दरें बढ़ जाने से मासिक किस्तें बढ़ जाती हैं। उधार लिया माल महंगा हो जाता है। कच्चे माल के रेट बढ़ जाते हैं। सभी तरह के ख़र्चे महंगै हो जाते हैं। व्यापार की जगह, घर या किराया की जगह हुआ या पढ़ाई के लिए कर्ज लेना हो या गाड़ियां, सब महंगा हो जाता है। मासिक किस्तें ज्यादा हो जाने से उपभोक्ता के पास सब आवश्यक खर्च करने के बाद जो पैसा बचता है वह कम हो जाता है। पैसा हाथ में कम रहने से बाजार में माल की बिक्री पर असर पड़ता है। महंगे पैसे से बाजारों में पैसे की तरलता के पर भी विपरीत असर होता है।

रिजर्व बैंक से अनुरोध

उन्होंने कहा कि हमारा भारतीय रिजर्व बैंक से निवेदन है की महंगाई की आड़ में व्यापार को चौपट न करें। ब्याज की दरें कम करने का समय है, बढ़ाने का नहीं।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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