नोएडा प्राधिकरण की सीईओ को पुलिस कस्टडी में कोर्ट में पेश करने का आदेश
इलाहाबाद हाई कोर्ट रितु माहेश्वरी के कार्य से बेहद नाराज
नोएडा। नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रितु महेश्वरी को पुलिस की हिरासत में अदालत में पेश करने का आदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया है। इलाहाबाद की हाई कोर्ट की बेंच ने गौतमबुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को आदेश का पालन करने की जिम्मेदारी दी है। भूमि अधिग्रहण के एक मामले में मामला मुकदमा हारने के बाद भी नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा अदालत के आदेशों का पालन नहीं करने पर किसान की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई थी। इस मामले में अदालत ने माहेश्वरी को खुद अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया था। लेकिन वे हाजिर नहीं हुईं। इस अदालत ने कड़ी रुख अपनाते हुए सीईओ के खिलाफ गैर जमानती वारंट (नान बेलेबुल) जारी किया है।
नोएडा के सेक्टर 82 में प्राधिकरण ने 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को अर्जेंसी क्लोज के तहत भूमि अधिग्रहण किया था। इस अधिग्रहण को जमीन की मालिक मनोरमा कुच्छल ने अदालत में चुनौती दी थी। 1990 में मनोरमा ने याचिका दायर की थी। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण को रद कर दिया था। मनोरमा को सर्किल रेट से दो गुने दर पर मुआवजा देने का आदेश दिया गया था। इसके अलावा हर याचिका पर पांच-पांच लाख खर्च का अनुमान लगाकर भरपाई के आदेश भी दिए गए थे। इस आदेश के खिलाफ प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। वहां से वह मुकदमा हार गई। फिर भी प्राधिकरण ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। इस पर मनोरमा ने अवमानना याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 27 अप्रैल को आदेश पारित किए थे।
रितु माहेश्वरी को अदालत ने चार मई को हाजिर होने का आदेश दिया था लेकिन वे अदालत में हाजिर नहीं हुईं। इसके पहले भी वे 28 अप्रैल को सुनवाई के दौरान कोर्ट में हाजिर नहीं हुई थीं। प्राधिकरण की ओर से रवींद्र श्रीवास्तव अदालत में मौजूद थे। इस पर अदालत ने कड़ा रुख अपनाया। रवींद्र श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि माहेश्वरी वायुयान से आ रही हैं। लेकिन कोर्ट ने कहा कि उन्हें दस बजे ही अदालत में आ जाना चाहिए था। यह मुख्य कार्यपालक अधिकारीका अनुचित कार्य और व्यवहार है। यह अदालत की अवमानना के दायरे में आता है। उनके खिलाफ अवमानना प्रक्रिया शुरू करने के आदेश भी हाई कोर्ट ने दिए।
न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की कोर्ट ने नाराजगी जताई कि नोएडा प्राधिकरण ने 1990 में याची की भूमि को अधिग्रहीत किया था। इसके लिए उचित प्रक्रिया और कानून का पालन नहीं किया गया। प्राधिकरण ने याची की भूमि को कब्जे में ले लिया था। याची को मुआविजा दिये बिना भूमि में बदलाव करना अवैधानिक है। इससे याची के साथ अन्याय हुआ है।
हाई कोर्ट ने कहा कि नोएडा की सीईओ रितु माहेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का पर्याप्त आधार है। उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाता है। गौतमबुद्ध नगर जिले के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी इसका पालन कराएंगे। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि 48 घंटे के भीतर इस आदेश की कापी गौतमबुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को उपलब्ध कराई जाए। मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी। उस दिन नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी को पुलिस कस्टडी में कोर्ट में पेश किए जाएं।