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आक्रोशः ग्रेनो विकास प्राधिकरण की बेरुखी से किसान कर सकते हैं संसदीय चुनाव का बहिष्कार, 14 मार्च को किसान देंगे धरना

बिसरख के पूर्व ब्लाक प्रमुख ने किसानों के हित में अहम त्यागकर एकजुट होने का सभी किसान संगठनों से किया आह्वान

ग्रेटर नोएडा। बिसरख ब्लाक के प्रमुख रहे कर्मवीर नागर ने सभी किसान संगठनों का आह्वान किया कि वे किसानों की भलाई और उनके हकों की रक्षा के लिए आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट हों। उन्होंने कहा कि किसानों संगठनों को ऐसा जबर्दस्त आंदोलन चलाना चाहिए जिससे ग्रेटर नोएडा किसानों की समस्यों के निराकरण करने, उनका हक देने के लिए बाध्य हो जाए।

किसान अपने हक के लिए हो रहे परेशान

उन्होंने कहा कि यह बड़ी ही विडंबना ही है कि जिन किसानों की भूमि पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण का नाम समूची दुनिया के पटल पर छा गया है। जिन किसानों की भूमि पर देश-विदेश के इन्वेस्टर्स को सरकार आए दिन न्योता दे रही है। जिन किसानों की भूमि पर गगनचुंबी इमारतें खड़ी हो गई हैं और बड़े-बड़े उद्योग, व्यापारिक संस्थान स्थापित हो गए हैं उन्हीं किसानों को अपनी रिहाइश के लिए आबादी और मुआवजा जैसी मूलभूत समस्याओं के निस्तारण के लिए कभी कड़कड़ाती ठंड तो कभी तपती धूप, और कभी झमाझम बारिश में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। लेकिन इस सब के बावजूद प्राधिकरण के अधिकारी किसानों की ज्वलंत समस्याओं के निस्तारण के लिए कतई गंभीर नजर नहीं आ रहा है। कारण जो भी हो लेकिन  किसान संगठनों के तमाम प्रयासों के बावजूद क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी किसानों की समस्याओं के निस्तारण पर अभी तक लाचारी जाहिर करते नजर आए हैं।

जनप्रतिनिधि भी चुप

उन्होंने कहा कि यहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों में पार्टी के अंदर अपनी स्थिति और कद मजबूत करने की होड़ जरूर लगी हुई है लेकिन किसानों के मुद्दों पर अधिकतर चुप्पी ही दिखती है। इसीलिए किसानों के एक संगठन ने आबादी मामलों का निस्तारण करने, बगैर लीजबैक किए आबादी भूमि को शिफ्ट न करने, लीजबैक के 1451 मामलों का निपटारा करने, एसआईटी जांच की बाबत लीजबैक के 533 प्रकरण एवं बादलपुर के 208 प्रकरणों में मांगी गई रिपोर्ट की शासन से स्वीकृति लेना, किसानों के 6 एवं 8% के भूखंड आवंटित करने, किसान कोटा खत्म में करने और भूमि अधिग्रहण में नए भूमि अधिग्रहण बिल को लागू करने जैसे मुद्दों पर 18 सूत्रीय मांग पत्र प्राधिकरण को सौंपा है।

14 मार्च को होगा प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि इन्हीं  मुद्दों पर विभिन्न किसान संगठन एकजुट होकर 14 मार्च को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सामने प्रदर्शन करेंगे। खास बात यह है कि किसानों के मुद्दों पर किसी किसान संगठन द्वारा मांग पत्र देना और धरना प्रदर्शन करना पहली बार नहीं बल्कि ऐसे धरने प्रदर्शन सैकड़ों बार हो चुके हैं लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों के कानों पर आज तक जो नहीं रेंगी।

नुकसानदेह साबित हो रही

उन्होंने कहा कि  मुझे यह कहने में कतई हिचक नहीं है कि किसानों के हित में आवाज उठाने वाले  जिला गौतमबुद्ध नगर में सक्रिय किसान संगठनों की अपने अहम और वर्चस्व की लड़ाई भी कहीं न कहीं किसानों के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है। कारण जो भी हो लेकिन किसान संगठनों का बिखराव किसान हित में नहीं है। अगर सभी किसान संगठन अहम त्याग कर और संगठित होकर लड़ाई लड़ें तो वह दिन दूर नहीं जब प्राधिकरण के अधिकारी किसानों के मुद्दों पर फोकस करते नजर आएंगे।

किसान संगठन एक बैनर के नीचे आएं

उन्होंने कहा कि मुद्दों के समाधान के लिए और शासन-प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए आम किसानों और किसान संगठनों के मुखियाओं को एक बैनर तले लाना होगा। जिन विकास प्राधिकरणों में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था अभी तलक टिप्पणी कर चुकी हो भ्रष्टाचारी संस्थान को घुटनों के बल आने में देर नहीं लगेगी, बशर्ते कि किसान संगठन और स्थानीय जनप्रतिनिधि साफ नियत से किसान हित में अपनी आवाज बुलंद करें। इन प्राधिकरणों के भ्रष्टाचार के किस्से काम होने के बाद भी भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने वाली सरकार अभी तक कोई ठोस कार्यवाही करती नजर नहीं आई है। और तो और गैर पुश्तैनी काश्तकारों की जांच के ले गठित एसआईटी जांच रिपोर्ट भी आज तक आम जनता के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जाना इसकी तरफ साफ इशारा करता है कि कहीं न कहीं इस रिपोर्ट में भी गड़बड़ घोटाला है।

जनप्रतिनिधियों की उदासीनता समझ से परे

उन्होंने कहा कि किसान हित के मुद्दों पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता समझ से परे है। अगर किसानों के मुद्दों के मामले में प्राधिकरण के अधिकारी जनप्रतिनिधियों की अनदेखी और अनसुनी कर रहे हैं तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बजट सत्र के दौरान किसान हित के मुद्दे सदन में उठाने चाहिए थे। लेकिन जनप्रतिनिधियों द्वारा किसानों की लंबित और ज्वलंत समस्याओं पर विधानसभा या संसद में कोई चर्चा नहीं किया जाना जनपद गौतम बुद्ध नगर के किसानों का हौंसला पस्त करने वाला है। हालांकि खतौली के विधायक मदन भैया द्वारा गौतमबुद्ध नगर के किसानों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए बजट सत्र के दौरान विधानसभा में प्रश्न लगाना किसानों के सुकुन भरी खबर है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर दवाब नहीं

उन्होंने कहा कि यह कड़वा सच है कि शहरी क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी से स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर किसानों और ग्रामीणों का दबाव नहीं रह गया है। शहरी क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या बल ने ग्रामीण क्षेत्र की अहमियत जनप्रतिनिधियों की नजरों में कम कर दी है। लेकिन बताना चाहूंगा कि जनप्रतिनिधियों को ग्रामीण क्षेत्र और किसानों की इतनी भी अनदेखी करना ठीक नहीं है क्योंकि जिस दिन ग्रामीण क्षेत्र का मतदाता पूरी तरह विरोध पर उतारू हो जाएगा तो परिणाम बदलने में देरी नहीं होगी।

मीडिया से अनुरोध

उन्होंने कहा कि मेरा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया से भी अनुरोध है कि किसान की आवाज को सरकार तक पहुंचाने में अपनी महती भूमिका निभाएं। क्योंकि जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते मीडिया की भूमिका अहम हो जाती है। लेकिन प्राधिकरण द्वारा दिए गए विज्ञापनों का प्रलोभन कई बार प्राधिकरण के विरुद्ध खबर प्रकाशित करने से बचते दिखते हैं। लेकिन यह भी सच्चाई है कि मीडिया जितना अपनी भूमिका अच्छी तरह निभाएगा प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारी उतना ही नतमस्तक होते नजर आएंगे।

प्राधिकरण व जनप्रतिनिधियों को किया आगाह

उन्होंने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों  को आगाह किया कि अगर किसानों के मुद्दों का समाधान नहीं किया गया तो जिला गौतमबुद्ध नगर के किसान और ग्रामीण आगामी चुनाव का खुला बहिष्कार करेंगे। इससे उस पूरे देश और दुनिया में प्राधिकरण की किरकिरी होना तय है जिस अंतरराष्ट्रीय पटल पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण की एक साख है। किसानों के साथ हो रहे अन्याय और उत्पीड़न के विरुद्ध चुनाव बहिष्कार  की यह खबर जब पूरी दुनिया में जाएगी तो इन्वेस्टर्स पर भी इसका बुरा असर पड़ना तय है जो सरकार के हित में नहीं है। इसलिए समय रहते ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी  किसानों के मुद्दों का समाधान करें अन्यथा 2024 आते आते जनपद गौतम बुद्ध नगर के किसानों के हित में राकेश टिकैत जैसे बड़े किसान नेता और अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी अपनी गतिविधियां तेज करते नजर आ सकते हैं।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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