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आक्रोशः पंचशील हाईनिश के निवासियों का गुस्सा फूटा

बिल्डर के खिलाफ किया प्रदर्शन, सात साल बने गए लेकिन कई काम हैं अधूरे, नहीं सुन रहा बिल्डर

ग्रेटर नोएडा वेस्ट। यहां के सेक्टर एक स्थित पंचशील हाईनिश के निवासियों का बिल्डर के प्रति फूट पड़ा। उनका कहना है कि पंचशील हाईनिश को बने लगभग 7साल हो गए हैं। परंतु अभी भी बहुत सारे काम अधूरे ही पड़े हैं। सही बोले तों अभी भी ये प्रोजेक्ट हैंड ओवर की स्थिति में नहीं हैं।

अशांति में रह रहे लोग

यहां के निवासियों का कहना है कि हमें तो लगता है कि जैसे पैसे से घर नहीं बल्कि डर बिल्डर से ख़रीद लिया क्योंकि शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरा हो जो शांति से गुजरा हो।

बिल्डर को बिना के काम के पैसे चाहिए। जब भी काम की बात करो तो टाल-मटोल कर जाता है। सारी इमारतें जर्जर अवस्था में पहुंच रही हैं।

स्ट्रक्चरल ऑडिट हो

यहां के निवासियों का कहना है कि हमने स्ट्रक्चरल ऑडिट की भी बात रखी ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से जिसे मालूम नहीं कब अमली जामा पहनाया ज़ाया जाएगा।

आखिर फूट पड़ा गुस्सा

आज यहां के निवासियों का गुस्सा फूट पड़ा। लोग भारी संख्या में इकट्ठे होकर अपने हक के लिए आवाज उठाई। पंचशील हाईनीश के लोगों का कहना था हम अपना बिल्डर से हक मांग रहे हैं न कि भीख।

सोसायटी के लोगों की ये हैं समस्याएं

1-सुरक्षा के नाम पर सिक्योंरिटी तो ऐसी हैं कि कोई भी घुसके किसी वारदात को अंजाम देकर निकल जाएगा।

2-हर बिल्डिंग से प्लास्टर या तों झड़ रहा हैं या फिर छत टूटकर गिर रहीं हैं। ये इमारत बनाने से लेकर उसमें इस्तेमाल किए गए समानो की घटिया गुणवत्ता को दिखाता है।

3-सभी इमारतों में सीलन देखीं जा सकती हैं जिससे पिलर और स्ट्रक्चर कमजोर हो रहे हैं।

4-अग्नि से सुरक्षा के उपाय तो शून्य हैं। कोई भी उपकरण या तो ख़राब पड़ा हैं या फिर उसका समय समाप्त हो चुका हैं।

4–हर टावर में लिफ़्ट  ख़राब पड़े है, क्यूँकि उनका रखरखाव ना के बराबर होता हैं। AMC  होती ही नहीं।

5-बच्चों के झूले चार साल से भी ज़्यादा समय से टूटे पड़े हैं। रबर की सतह भी कई जगह से टूटी हुई हैं जिससे आए दिन बच्चों को चोट लगती हैं।

6-पोडियम में चारों तरफ़ सीलन हैं और बिना बारिश के ही पानी टपकता रहता है।

7-पार्किंग में वाइरिंग कन्सिल्ड होनी चाहिए थी लेकिन यहाँ पर प्लास्टिक के पाइप लगाकर वाइरिंग की गई है। अगर कभी भी शॉर्ट सर्किट होता है तो नीचे रखे कारों में आग लग सकती हैं। ये एक भयानक दुर्घटना को दावत देने जैसा है।

8-पानी के ओवरहेड टैंकों से लगातार पानी निकलता रहता हैं जो पूरी बिल्डिंग को कमजोर और पानी के नुक़सान को बढाता हैं। टैंकों की सफ़ाई महीनों नहीं होती है। यहां के निवासी गन्दा पानी इस्तेमाल करने को मजबूर हैं।

9-कूड़ा-करकट निपटारा व्यवस्था भी दयनीय और भयानक बीमारियों को दावत देने वाली हैं। खुले ड्रम्स में इकट्ठा कर बेसमेंट में फ़ेंक़ दिया जाता है।

10-निवासियों को कसरत करने के लिए बाहर के जिमों का उपयोग करना पड रहा हैं क्यूँकि सोसायटी क्लब के जिम की सारी मशीने दो साल से ज़्यादा समय से ख़राब हैं।

11-जिम का प्रीपेड होने के वाजुद अधिकतर सामन खराब पड़ा है ।

12-बीतें 2 सालों में कोविड के दौरान कर्मचारियों में भारी कटौती और उसके वजह से रख रखाव में भी गिरावट इसके बावजूद ना तो मेंट्नेन्स शुल्क में कमी ना ही हर रोज़ बिल्डर द्वारा दी जाने वाली धमकियाँ।

13- सोसायटी की चहारदीवारी जर्जर अवस्था में हैं।

14- चारों तरफ़ लगभग 50 से भी ज़्यादा आवारा कुत्तों का आतंक हैं सोसायटी में।

15- कई घटनाओं के होने के बाद पुलिस अधिकारियों के कहने के बावजूद बिल्डर ने CCTV कैमरें नहीं लगवाए।

16-टावरों में इंटरकॉम की व्यवस्था सालों चलने की राह देख रही हैं।

17-ग्रीन बेल्ट में अनाधिकृत पार्किंग बाँट रखी हैं।

18- दो टावरों 11 और 12 की रजिस्ट्री रुकी हुई हैं पर बिल्डर ने अपना सारा पैसा वसूल रखा हैं।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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