चंद दिनों की मेहमान है पाकिस्तान की इमरान सरकार !
पाकिस्तान सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने आईएसआई चीफ फैज़ हमीद को हटाकर नदीम अहमद अंजुम को लाने का ऐलान कर दिया । पीएम इमरान खान फैज़ हमीद को हटाना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने सेना के आदेश पर अब तक मुहर नहीं लगाई है। आईएसआई की तैनाती का कानूनी अधिकार पीएम के पास है। इसको लेकर सेना प्रमुख बाजवा और इमरान खान के बीच टकराव बढ़ गया है। इसके बाद पाकिस्तानी मीडिया में माना जा रहा है कि पाक फौज अब इमरान सरकार को बर्दाश्त नहीं करेगी।
पाकिस्तान में निर्वाचित सरकारों को अपदस्थ करने का सिलसिला कोई नया नही है। नवाज शरीफ, बेनजीर भुट्टो, जुल्फिकार अली भुट्टो जैसे दिग्गज नेताओं को फौज ने किनारे लगा दिया था। अब बारी इमरान खान की लगती है। कोरोना महामारी से निपटने में इमरान सरकार की नाकामयाबी के अलावा कई और भी वाकये ऐसे हुए हैं, जो उनके पाक पीएम के ग्राफ को नीचे गिराते हैं। कूटनीतिक मोर्चे पर तो वह पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। पुलवामा आतंकी हमला हो या अनुच्छेद 370 का मसला, भारत ने पाकिस्तान को हर कूटनीतिक मोर्चे पर मात दी है। इमरान के कार्यकाल में अमेरिका से रिश्ते रसातल में चले गए हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद देश की आर्थिक व्यवस्था बद से बदतर हो गई है। बेरोजगारी और महंगाई चरम पर है। पाक सेना के लिए ये हालात बेहद मौजू हैं।
सियासी जानकार मानते हैं कि ये विवाद और गहराया तो फौज इमरान सरकार को बर्खास्त करके सत्ता पर काबिज हो जाएगी। अगर फौज ने जनता का लिहाज किया तो वो अपनी कठपुतली सरकार भी बनवा सकती है। पाक मीडिया में यह बात जोर पकड़ रही है कि शाह महमूद कुरैशी देश के नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं। दरअसल, फौज और विपक्ष में कुरैशी की छवि काफी अच्छी है। सेना और विपक्ष में वह काफी लोकप्रिय हैं। पाकिस्तान के सियासी हलकों में हमेशा से ये कहा जाता रहा है कि कुरैशी की इच्छा पीएम बनने की रही है। हालांकि, इसके पूर्व भी वह पीएम की कुर्सी तक पहुंचने में दो मौके चूके हैं। एक बार यूसुफ रजा गिलानी तो दूसरी बार इमरान खान उनकी राह में रोड़ा बन गए थे। खास बात यह है कि कुरैशी और फौज के बीच गहरे और अच्छे ताल्लुकात हैं। इमरान खान को तो वैसे भी पूरा विपक्ष इलेक्टेड के बजाय सिलेक्टेड प्रधानमंत्री कहता है।
फेडरल भारत के लिए नवीन निर्मल की रिपोर्ट