पारस बिल्डर फिर हुआ बेनकाब, एओए के चुनाव फिर लटके, यथास्थिति का आदेश
नोएडा : पारस टिएरा सोसाइटी के बोर्ड के चुनाव इस बार फिर टल गए है। यहां बहुत से निवासियों ने सरकारी अधिकारियों से गुहार लगाई है कि चुनाव बाय-लाज और यूपी अपार्टमेंट एक्ट 2010 के मॉडल बाय-लाज 2011 के अनुसार ही कराए जाएं क्योंकि बिल्डर काफी लंबे समय से चुनाव को मुद्दा बनाकर, उनको चैलेंज करके पारस टिएरा अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन का 32 करोड़ रूपए से भी ज्यादा का आई.एफ.एम.एस.( IFMS) और सिंकिंग फंड (Sinking Fund) व अन्य बकाया एवं अधूरे प्रोजेक्ट देनदारियों को पूरा करने से लगातार आना-कानी करता रहा है।
पारस निवासी अमित ने बताया कि बिल्डर ने 24.09.2022 में भी डिप्टी रजिस्टार को एक भ्रामक पत्र लिखा था, और 22.01.2023 में हुए नए बोर्ड के चुनाव को बाय-लाज के अनुसार नही होने का हवाला देते हुए फिर इसी दुर्भावना पूर्ण उद्देश्य से बिल्डर ने उनको भी अवैध करार देते हुए डिप्टी रजिस्टर कोर्ट में उसको 16.02.2023 में चैलेंज किया था, और इस बहाने से पारस बिल्डर एक वैध तरीके से चुने हुए बोर्ड को ही सिंकिंग फंड और आईएफएमएस देने के बहाने से यह पैसा देने से बचता रहा है।
इस बार निवासियों ने डिप्टी रजिस्टार, गाजियाबाद को बिल्डर की कठपुतली बनते देखा और एक आम वयक्ति को विशेष बनाकर उसका नाम 19.06.2023, 13.05.2023 एवं 04.07.2024 दिनांकित अधिकारिक आदेशों व पत्रों मे उसको चुनाव में फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। इनकी शिकायत उच्च सरकारी अधिकारियों से की गई है।
सोसाइटी के लोगों की ये बड़ी माँग
निवासियों का कहना है कि चुनाव मॉडल बाय-लाज 2011 के प्रावधान के अनुसार ही चुनाव कराए जाएं, ताकि इस बार पारस बिल्डर को सोसाइटी का बकाया चुकता करने का फिर से कोई बहाना ना मिल सके।
अध्यक्ष ने दिया बड़ा बयान
पारस टिएरा एओए के बोर्ड अध्यक्ष कर्नल रमेश गौतम ने बताया कि बिल्डर हमेशा कुछ चुनिन्दा स्वार्थी निवासियों को मोहरा बनाकर अधिकारियों से बलपूर्वक अनुचित और हास्यास्पद आदेश जारी करा रहा है ताकि या तो उसके इशारों पर चलने वाला बोर्ड चुनकर आए या फिर चुनाव परिणाम विवादित होने वाली अवस्था मे हो जाए। यह जानकारी छपने तक खबर आई कि चुनाव मामला कोर्ट में विचाराधीन हो गया है।
पारस टिएरा के बोर्ड के चुनाव इस बार टल गए है। यहां बहुत से निवासियों ने सरकारी अधिकारियो से गुहार लगाई है कि चुनाव बाय-लाज और यूपी अपार्टमेंट एक्ट 2010 के मॉडल बाय-लाज 2011 के अनुसार ही कराए जाएं क्योंकि बिल्डर काफी लंबे समय से चुनाव को मुद्दा बनाकर, उनको चैलेंज करके पारस टिएरा अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन का 32 करोड़ रूपए से भी ज्यादा का आई.एफ.एम.एस.( IFMS) और सिंकिंग फंड (Sinking Fund) व अन्य बकाया एवं अधूरे प्रोजेक्ट देनदारियोंको पूरा करने से लगातार आना-कानी करता रहा है।
पारस निवासी अमित ने बताया कि बिल्डर ने 24.09.2022 में भी डेप्युटी रजिस्टार को एक भ्रामक पत्र लिखा था, और 22.01.2023 में हुए नए बोर्ड के चुनाव को बाय-लाज के अनुसार नही होने का हवाला देते हुए फिर इसी दुर्भावना पूर्ण उद्देश्य से बिल्डर ने उनको भी अवैध करार देते हुए डिप्टी रजिस्टर कोर्ट में उसको 16.02.2023 में चैलेंज किया था, और इस बहाने से पारस बिल्डर एक वैध तरीके से चुने हुए बोर्ड को ही सिंकिंग फंड और आईएफएमएस देने के बहाने से यह पैसा देने से बचता रहा है।
इस बार निवासियों ने डेप्युटी रजिस्टार, गाजियाबाद को बिल्डर की कठपुतली बनते देखा और एक आम वयक्ति को विशेष बनाकर उसका नाम 19.06.2023, 13.05.2023 एवं 04.07.2024 दिनांकित अधिकारिक आदेशों व पत्रों मे उसको चुनाव मे फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से प्रमुखता से बारम्बार प्रकाशित किया गया। इनकी शिकायत उच्च सरकारी अधिकारियों से की गई है। निवासियों का कहना है कि चुनाव मॉडल बाय-लाज 2011 के प्रावधान अनुसार ही चुनाव कराए जाएं, ताकि इस बार पारस बिल्डर को सोसाइटी का बकाया चुकता करने का फिर से कोई बहाना ना मिल सके
पारस टिएरा एओए के बोर्ड अध्यक्ष कर्नल रमेश गौतम ने बताया कि बिल्डर कुचेश्ठा वश हमेशा कुछ चुनिन्दा स्वार्थी निवासियों को मोहरा बनाकर और अपने राज्य सभा सांसद के संरक्षण का नाजायज फायदा उठाकर अधिकारियों से बलपूर्वक अनुचित आदेश जारी करा रहा है ताकि या तो उसके इशारों पर चलने वाला बोर्ड चुनकर आए या फिर चुनाव परिणाम विवादित होने वाली अवस्था मे हो जाए। यह जानकारी छपने तक खबर आई कि चुनाव मामला कोर्ट मे विचाराधीन हो गया है।