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प्रदोष व्रत 2025: भगवान शिव की कृपा पाने के लिए करें इन मंत्रों का जाप, पूरी होगी मनचाही मुराद

नोएडा: प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पुण्यदायी व्रत है, जिसे हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से सूर्यास्त के समय, यानी “प्रदोष काल” में भगवान शिव की उपासना के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

मान्यता है कि इस दिन विधिवत व्रत रखकर और मंत्रों का जाप करके भोलेनाथ को प्रसन्न किया जा सकता है, जिससे सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और मनचाही मुरादें पूरी होती हैं।

क्यों करें प्रदोष व्रत?

शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, स्वास्थ्य लाभ होता है, शत्रु पर विजय मिलती है और आत्मा को शांति प्राप्त होती है। इस व्रत को करने से पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। यह व्रत खासकर उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है जो किसी संकट से गुजर रहे हों या किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद चाहते हों।

प्रदोष व्रत के दिन करें इन मंत्रों का जाप

प्रदोष व्रत के दिन शिवजी की पूजा के साथ-साथ इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। ये मंत्र न केवल मानसिक शांति देते हैं, बल्कि शिवजी की विशेष कृपा भी दिलाते हैं:

1. महामृत्युंजय मंत्र

यह मंत्र रोग, भय और मृत्यु जैसे संकटों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।

मंत्र:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

2. पंचाक्षरी मंत्र

यह शिवजी का सबसे सरल और प्रभावशाली मंत्र है। इसका जाप मन और आत्मा को शुद्ध करता है।

मंत्र:

ॐ नमः शिवाय।

3. रुद्र गायत्री मंत्र

यह मंत्र शिव की शक्ति को जागृत करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक होता है।

मंत्र:

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।

तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

4. शिव ध्यान मंत्र

भगवान शिव का ध्यान करने से मन एकाग्र होता है और आत्मिक बल प्राप्त होता है।

मंत्र:

करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा

श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।

विहितमविहितं वा सर्वमेतत् क्षमस्व

जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो॥

पूजा विधि

1. सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

2. पूरे दिन उपवास रखें (निर्जला या फलाहार)।

3. संध्या के समय शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध, धतूरा आदि चढ़ाएं।

4. धूप-दीप से आरती करें और ऊपर बताए गए मंत्रों का जाप करें।

5. अंत में शिव चालीसा या शिवपुराण का पाठ करें।

निष्कर्ष:

प्रदोष व्रत केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं है, बल्कि यह एक आत्मिक साधना भी है। यदि आप श्रद्धा और नियमपूर्वक इस व्रत को करें और मंत्रों का जाप करें, तो न केवल आपके जीवन की समस्याएं दूर होंगी, बल्कि मनचाही सफलता और शांति भी प्राप्त होगी। भगवान शिव की कृपा से सब कुछ संभव है – बस सच्चे मन से उनका ध्यान कीजिए।

 

Divya Gupta

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