प्रयासः इनलैंड मछली पालन में प्रदेश की श्रेष्ठता को बरकरार रखेगी सरकार
छह अति आधुनिक मंडियों का होगा निर्माण, उत्पादन व निर्यात बढ़ाने के मद्देनजर इंटीग्रेटेड एक्वा फार्म भी बनेगा
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में इनलैंड मछली पालन की अपार संभावनाएं हैं। हाल के वर्षों में प्रदेश ने इनलैंड (अन्तरस्थलीय) मछली पालन में खासी प्रगति भी की है। 2020-2021 में इनलैंड मछली पालन में प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार मिलना इसका प्रमाण है। सरकार इस दर्जे को बरकरार रखने की हर संभव कोशिश करेगी।
चुनाव के पहले भाजपा की ओर से जारी लोककल्याण संकल्प पत्र-2022 में भी भाजपा ने इस बाबत प्रतिबद्धता जाहिर की थी। इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए योगी सरकार में रिवर रैचिंग, मत्स्य बीज वितरण की योजना बनाई गई है।
मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य
अब उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य प्रधानमंत्री मत्स्य योजना की मदद से अगले पांच साल में मछली उत्पादन में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का है। इसके लिए 12 लाख टन मछली के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री मत्स्य योजना के तहत लाभार्थियों का पंजीकरण, ऑनलाइन आवेदन, डीबीटी के जरिए अनुदान के ट्रांसफर आदि की प्रकिया को पूरी पारदर्शिता से किए जाने की व्यवस्था की गई है। लाभार्थी http:// fymis.upsc.gov.in पोर्टल पर 15 जुलाई तक आवेदन कर सकते हैं। जरूरत हुई तो आवेदन की तारीख को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को आइस बॉक्स के साथ साइकिल, बाइक, ऑटो भी देगी। इससे वह तालाब से सीधे मछली खरीदकर उनको बेचकर अधिक से अधिक लाभ कमा सकें।
मछुआरा समुदाय को एक लाख की नाव पर 40 फीसद का अनुदान
संकल्पपत्र के मुताबिक सरकार बनने पर भाजपा “निषाद राज बोट सब्सिडी योजना” शुरू करेगी। इसके तहत मछुआरा समुदाय को एक लाख रुपये तक कि नाव खरीदने पर 40 फीसद तक अनुदान देय होगा। बीज उत्पादन की इकाई लगाने पर 25 फीसद अनुदान देय होगा। 6 अतिआधुनिक मछली मंडियों का निर्माण, उत्पादन और निर्यात बढ़ाने के लिए इंटीग्रेटेड एक्वा फार्म के स्थापना का जिक्र भी संकल्पपत्र में किया गया था।
दोबारा भारी बहुमत से सत्ता में आने के बाद मछली पालन के प्रोत्साहन के प्रति सरकार ने एक बार फिर प्रतिबद्धता जताई है। पिछले दिनों मंत्रिमंडल के समक्ष कृषि उत्पादन सेक्टर के प्रस्तुतिकरण के दौरान मछली पालन को प्रोत्साहन देने के लिए मुकम्मल कार्ययोजना भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष प्रस्तुत की गई।
5 साल में लगातार बढ़ा उत्पादन और रकबा
पिछले 5 साल के आकड़ों पर गौर करें तो हर साल मछली के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि दर्ज की गई है। इस दौरान उत्पादन 6.176 लाख टन से बढ़कर 7.456 लाख टन हो गया। इनलैंड मछली पालन में आंध्रप्रदेश, बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश का तीसरा स्थान है। इन तीनों राज्यों में इनलैंड मछली का उत्पादन क्रमशः 36.1, 16.19, 6.99 लाख टन है। सरकार के लिए उत्पादन और मांग का यही अंतर अवसर भी है।
क्या है संभावनाएं
जलाशयों की संख्या, भरपूर बारिश, सर्वाधिक आबादी के नाते बाजार एवं सस्ता श्रम इन संभावनाओं को और बढ़ा देते हैं। मालूम हो कि प्रदेश में जलाशयों, झीलों तालाबों का कुल रकबा करीब 5 लाख हेक्टेयर है। मछुआरा समुदाय को केंद्र में रखकर इन जलश्रोतों का बेहतर उपयोग के जरिये मछली उत्पादन में वृद्धि, किसानों के लिए रोजगार और आय का अतिरिक्त जरिया बनाना सरकार का लक्ष्य है। इसके लिए सरकार निजी भूमि पर मछली पालन के लिए तालाब खुदवाने को प्रोत्साहित कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में 1520 हेक्टेयर भूमि पर निजी तालाब खोदे गए। करीब एक लाख मत्स्य पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ा गया। करीब 465 हेक्टेयर में मछली बीज की रियरिंग इकाइयों की स्थापना से शुरुआत हो चुकी है।
मछली को यूं ही नहीं “जल की रानी”
मछली पालन के कई लाभ हैं। यह पर्यावरण के अनुकूल है। जीव जनित प्रोटीन का बेहतर स्रोत होने के साथ मटन और चिकन से सस्ता होना इसकी अन्य खूबियां हैं। किसानों के लिए अतिरिक्त आय, गरीबी उन्मूल, रोजगार का जरिया, निर्यात की संभावना की वजह से विदेशी मुद्रा का अर्जन सोने पर सुहागा जैसा है। मछली की इन्हीं खूबियों के नाते इसके प्रोत्साहन के लिए सरकार ने “ब्लू रेवोल्यूशन” का नारा दिया था।