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प्रयासः ढाई करोड़ से अधिक बिजली के स्मार्ट प्रीपेड मीटर का हो चुका है इंस्टालेशन

स्मार्ट मीटर के जरिये बिजली के संतुलित उपयोग पर जोर, आरडीएसएस स्कीम के तहत वितरण हानि को कम करने का है लक्ष्य

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हर कोने तक निर्बाध बिजली आपूर्ति, बिजली की खपत के प्रति आम लोगों में जिम्मेदारी का भाव लाने के सरकार ने 2.5 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं के परिसरों पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर का इंस्टालेशन कर दिया है। वितरण परिवर्तकों पर 15 लाख से 21 हजार के करीब नग फीडरों पर स्मार्ट मीटर स्थापित कर दिए गए हैं।

निर्बाध बिजली आपूर्ति का प्रयास

भारत सरकार ने 2021 में रिवैम्पड डिस्ट्रिब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) की अधिसूचना जारी की थी। इसका उद्देश्य प्रदेश के उपभोक्ताओं को कुशल एवं सुदृढ़ वितरण तंत्र के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण निर्बाध आपूति किया जाना था। इसके जरिये 2024-25 तक बिजली वितरण हानियों को 12 से 15 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य है। योजना के प्रमुख कार्यों में स्मार्ट मीटरिंग, वितरण हानियों को कम करने के काम शामिल हैं।

केंद्र सरकार से भी मिली मदद

यूपीपीसीएल के अध्यक्ष एम देवराज बताते हैं कि प्रदेश में कुल 2.69 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं के परिसर पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर की स्थापना की जा चुकी है। मीटरिंग के कार्य के लिए भारत सरकार ने 18,885.48 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। इनमें स्वीकृत धनराशि की 15 प्रतिशत धनराशि यानी 2832.82 करोड़ रुपये अनुदान स्वरूप तथा शेष धनराशि यानी 16,052.66 करोड़ रुपये का वित्त पोषण राज्य सरकार और बिजली वितरण निगम द्वारा किया जाएगा। विद्धुत तंत्र के सुदृढ़ीकरण एवं वितरण हानियों को कम करने के लिए भारत सरकार की ओर से 16,498.61 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई जिसमें 60 प्रतिशत (9,899.17 करोड़) भारत सरकार द्वारा अनुदान स्वरूप तथा शेष 40 प्रतिशत (6,599.44 करोड़) का वित्त पोषण राज्य सरकार और वितरण निगम द्वारा किया जाएगा।

कई कार्य किए गए

लाइन लॉस रिडक्शन के मुख्य कार्यों में उपभोक्ताओं को संयोजन निर्गत करने में 2.71 लाख किलोमीटर आर्म्ड केबलिंग का उपयोग, एक्सएलपीई आर्म्ड केबल से 15 हजार किलोमीटर एलटी लाइन का निर्माण, 1.18 लाख किलोमीटर एबी केबल से खुले तारों की एलटी लाइन की प्रतिस्थापना, 35 हजार किलोमीटर 11 केवी लाइनों का विस्तार, 16 हजार किलोमीटर 11 केवी फीडर विभक्तिकरण के कार्य किए गए हैं।

19 हजार करोड़ से होगा आधुनिकीकरण

एम देवराज के अनुसार भारत सरकार को आधुनिकीकरण के लिए 18,916.20 करोड़ रुपये के प्रस्ताव भेजे गए हैं। इनकी स्वीकृति अगले वित्तीय वर्ष में मिलने की संभावना है। इस प्रस्तावित धनराशि का 60 प्रतिशत (11,349 करोड़) भारत सरकार से अनुदान स्वरूप तथा शेष 40 प्रतिशत (7,566.4 करोड़) का वित्त पोषण राज्य सरकार व वितरण निगम द्वारा किया जाएगा। आधुनिकीकरण के प्रस्तावित मुख्य कार्यों में 593 नग 33/11 केवी के नए उपकेंद्रों का निर्माण, 1511 नग 33/11 केवी उपकेंद्रों की क्षमता वृद्धि, लगभग 10 हजार किलोमीटर नई 33 केवी लाइनों का निर्माण, 76 हजार वितरण परिवर्तकों की स्थापना, लगभग 22 हजार किमी 11 केवी लाइन का निर्माण, लगभग 15 हजार किमी एलटी लाइन का निर्माण, एक लाख वितरण परिवर्तकों की क्षमता वृद्धि का कार्य तथा शहरी क्षेत्र में 14 नग स्काडा/डीएमएस का कार्य किया जाएगा।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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