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राष्ट्रपति ने कुंभ में जल भरकर तिया इंडिया वाटर वीक का उद्घाटन

कहां आयोजित किया गया है कार्यक्रम, कब तक चलेगा यह कार्यक्रम, राष्ट्रपति व मुख्यमंत्री ने दिया संदेश

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो मार्ट में आज मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंडिया वाटर वीक का उद्घाटन किया। उन्होंने कुंभ में जल भर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इसके पहले उनके यहां पहुंचने पर उनका राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आदि ने उनकी अगवानी की। इंडिया वाटर वीक कार्यक्रम पांच नवंबर तक चलेगा। इंडिया वाटर वीक का यह सातवां संस्करण है। इसमें विश्व भर के दो हजार से अधिक लोग नदियों में कम होते पानी और जल संरक्षण आदि विषयों पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे।

 जलस्रोतों के संरक्षण की जरूरत

उद्घाटन समारोह में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि भारत में आरंभिक काल से ही जल संरक्षण की परंपरा रही है। इसे विभिन्न अवसरों पर देखा जा सकता है। भारत में धार्मिक, सामाजिक और व्यक्तिगत जिम्मेदारी जल स्रोतों के संरक्षण की है। इससे हर हालत में संरक्षित किया ही जाना चाहिए। यह हमारा नैतिक दायित्व भी है। जलस्रोतों के संरक्षण से ही हम आने वाली पीढ़ियों को समृद्ध और सुरक्षित जलस्रोत सौंप सकते हैं।

पानी को दैवीय रूप माना जाता है

राष्ट्रपति ने कहा कि जल का मानव सहित अन्य जीव-जंतुओं के जीवन में बहुत महत्व है। भारतीय सभ्यता में पानी को दैवीय रूप में जाना जाता है। हमारे देश में पूजा-पाठ का विधि-विधान जल पूजा से ही शुरू होता है। नदियों, सरोवरों और दूसरे अन्य जलस्रोतों के पास ही हमारी सभ्यता विकसित हुई है। बढ़ती जनसंख्या के कारण पानी के विशाल भंडार सूख रहे हैं। यह समस्या सिर्फ हमारे देश की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की है। विश्व का  बड़ा हिस्सा पेयजल के लिए परेशान है, जलस्रोतों को संरक्षित नहीं किया गया तो उसकी परेशानी और बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि भारत में जल संचयन को लेकर सरकार अनेक प्रयास रही है। इनमें पानी की री-साइक्लिंग प्रोसेस का बहुत बड़ी भूमिका है। पानी को बर्बाद होने से रोकना बेहद जरूरी है। हमें पानी को रिसाइकल कर अनेक बार उसका विभिन्न कार्यों में उपयोग किया जा सकता है। इसकी आदत सभी को डालनी होगी।

60 से अधिक नदियां की गईं पुर्जीवित

उद्घाटन समारोह को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबोधित करते हुए कहा कि जल ही जीवन है। उत्तर प्रदेश में पर्याप्त जल संसाधन हैं। पिछले सालों में 60 से अधिक नदियां पुनर्जीवित की गई हैं। कानपुर में नमामि गंगे परियोजना के तहत काफी कार्य हुए हैं।
नालों से मुक्ति दिलाई गई
अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जानकारी दी कि कानपुर में गंगा नदी को दो नालों के प्रदूषण से मुक्ति दिलाई जा चुकी है। पहले सीवर का पानी सीधे गंगा नदी में गिरता था। सीसामऊ और जाजमऊ के सीवर को परिवर्तित कर दिया गया है। हिमालय से निकली अनेक नदियां उत्तर प्रदेश के बड़े भू-भाग से होकर गुजरती हैं।

प्लास्टिक पर प्रतिबंध
मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों को प्रदूषित करने में प्लास्टिक की भी भूमिका है। उत्तर प्रदेश में 2018 से प्लास्टिक को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके स्थान पर मिट्टी के बर्तनों को बढ़ावा दिया गया है। गांवों में हजारों अमृत सरोवर बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी जल संकट के गहराने का भरपूर संकेत दे रही है।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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