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डेंगू से बचावः थोड़ी सावधानी व घरेलू उपचार से हो सकता है बचाव

डेंगू होने पर हरी ईलायची के दानो को मुंख में दोनों ओर रखें, ध्यान रहे,  इसे चबाएं नहीं

नोएडा। बारिश का मौसम बीत रहा है। अब जाड़े की शुरुआत हो रही है। तापमान सम है। यह तापमान मच्छरों के लिए काफी अनुकूल होता है। इनमें सभी प्रजातियों के मच्छर पनपते हैं। इनमें डेंगू का भी मच्छर शामिल है। चूंकि मौसम तेजी से बदल रहा है। मच्छर पनप रहे हैं ऐसे में लोग डेंगू बुखार का शिकार भी हो रहे हैं।

ये अपनाएं तरीका

डेंगू बुखार से बचाव का सबसे अच्छा तरीका यह है कि अपने घुटनों से पैर के पंजे तक नारियल का तेल (coconut oil) लगाएं। यह एक एंटीबायोटिक परत की तरह सुबह से शाम तक काम करता है। यह उपाय अपनाकर डेंगू बुखार से बचा जा सकता है।

घुटनों की ऊचाईं तक ही उड़ सकता है डेंगू मच्छर

डेंगू का मच्छर घुटनों की ऊँचाई तक ही उड़ सकता है। इससे ज्यादा ऊंचाई पर नही उड़ सकता है। जब हम नारियल का तेल पंजे से लेकर घुटने तक लगाते हैं तो डेंगू के मच्छर के काटने पर नारियल के तेल का परत होने के कारण इसका कोई असर नहीं होता है और हम डेंगू बुखार से बच सकते हैं।

डेंगू से पीड़ित होने पर ये तरीका अपनाएं

यदि असावधानी से किसी को डेंगू बुखार हो ही गया हो तो इसमें घबड़ाने की कोई बात नहीं है। डेंगू होने पर हरी ईलायची (छोटी इलायची) के दानों को मुँख में दोनों ओर रख लें। यह ध्यान रहे कि ईलायची के दानों को चबाना नहीं है। केवल मुँख में रखने से ही खून के कण नार्मल हो जाते हैं। कम हुआ प्लेटलेट्स तुरंत ही बढ़ जाते हैं।

शहद के साथ पतीते रस का सेवन                                  इसके अलावा पपीते के पत्ते के रस को शहद के साथ सेवन करने से चमत्कारिक लाभ होता है। शहद के साथ पपीते के रस का सेवन करने से 24 घंटे के भीतर ही प्लेटलेट्स काउंट 68 हजार से बढ़कर दो लाख हो गया। इस कई मरीजों ने आजमाकर देखा भी है।

बकरी का दूध करें सुबह-शाम सेवन

डेंगू बुखार होने की दशा में मरीज को बकरी के दूध का सेवन कराना चाहिए। यह दूध मरीज को सुबह और शाम दोनों समय देना चाहिए। बकरी का दूध डेंगू बुखार में रामबाण की तरह काम करता है। इनके अलावा कीवी, नारियल पानी, मुसम्मी का रस, ग्लूकोज आदि लिक्विड का बार-बार सेवन मरीज को करना चाहिए।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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