नोएडा में दो प्रमुख ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं के प्रमोटर्स ने किया अरबों का खेल, नोएडा प्राधिकरण ने दिल्ली आर्थिक शाखा में दर्ज करायी शिकायत
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नोएडा: ग्रुप हाउसिंग परियोजना के तहत सैक्टर-100 (जीएच-3) और सैक्टर-110 (जीएच-5) में हो रही गड़बड़ियों को लेकर नोएडा प्राधिकरण ने गंभीर कदम उठाया है। दोनों परियोजनाओं के प्रमोटर्स के खिलाफ वित्तीय गड़बड़ी और प्राधिकरण को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई गई है।
प्राधिकरण का 495 करोड़ भी डकार गए बिल्डर
भूखण्ड जीएच-3, सैक्टर-100
ग्रुप हाउसिंग भूखण्ड संख्या जीएच-3, सैक्टर-100 का आवंटन 24 दिसंबर 2008 को मैसर्स रेड फोर्ट जहाँगीर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के नाम किया गया था, जिसका बाद में नाम बदलकर ग्रेनाइट गेट प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड कर दिया गया। इस भूखण्ड का कब्जा 30 दिसंबर 2008 को पट्टा प्रलेख निष्पादित करते हुए आवंटी को दिया गया। इस परियोजना के लिए समय-समय पर नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन आवंटी द्वारा देय धनराशि करीब 495.85 करोड़ रुपये जमा नहीं की गई और न ही परियोजना में निर्धारित अवधि के अंदर निर्माण कार्य पूरा किया गया।
ऐसे किया प्राधिकरण के साथ बिल्डर ने खेल
इसके अलावा, परियोजना के प्रमोटर्स – विदुर भारद्वाज, निर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह सूरी, गुरूबक्श सिंह, सुभाष बेदी और कल्याण यनमेन्द्र चकवर्ती ने इस भूखण्ड पर फ्लैट्स बेचकर तृतीय पक्षीय अधिकार सृजित किए और परियोजना से प्राप्त धनराशि को प्राधिकरण में जमा न कराकर अन्यत्र उपयोग किया। इस कारण फ्लैट बायर्स को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा और प्राधिकरण को वित्तीय हानि हुई।
इस भूखण्ड का पैसा भी दूसरी जगह किया उपयोग
भूखण्ड जीएच-5, सैक्टर-110
ग्रुप हाउसिंग भूखण्ड संख्या जीएच-5, सैक्टर-110 का आवंटन 10 दिसंबर 2009 को इसी कंपनी के नाम किया गया और इसका कब्जा 29 दिसंबर 2009 को दिया गया। इस भूखण्ड के लिए भी समय-समय पर नोटिस जारी किए गए, लेकिन आवंटी ने 1093.64 करोड़ रुपये की देय धनराशि नहीं जमा की और न ही निर्धारित समय में निर्माण कार्य पूरा किया। इस परियोजना में भी प्रमोटर्स ने फ्लैट्स बेचकर तृतीय पक्षीय अधिकार सृजित किए और प्राप्त धनराशि का उपयोग अन्य स्थानों पर किया।
इन दोनों परियोजनाओं में हुई वित्तीय गड़बड़ियों और फ्लैट बायर्स को हो रही परेशानियों के मद्देनजर, नोएडा प्राधिकरण ने 13 फरवरी 2025 को आर्थिक अपराध शाखा (E.O.W.), दिल्ली में शिकायत दर्ज कराई है। प्राधिकरण ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ जांच की मांग की है, ताकि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके और फ्लैट बायर्स को उनके अधिकार मिल सकें।
इन दोनों परियोजनाओं की यह स्थिति नोएडा प्राधिकरण के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि इससे न केवल प्राधिकरण को वित्तीय नुकसान हुआ है, बल्कि आम जनता को भी इसके कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है। अब देखना यह होगा कि आर्थिक अपराध शाखा इस मामले में क्या कदम उठाती है।