प्रदर्शनकारी किसानों का अल्टीमेटम : आरपार के मूड में किसान, प्राधिकरण सीईओ के आवास को घेरने की धमकी
नोएडा (Federal Bharat news) : नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पर पिछलेलगभग 40 दिनों से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अधिकारियों को अल्टीमेटम दिया है कि या तो मांगों का शीघ्र समाधान किया जाए अथवा बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहें। उन्होंने प्राधिकरण के सीईओ के आवास का घेराव करने की भी चेतावनी दी है।
सीईओ के घर का घेराव करने की चेतावनी
भारतीय किसान यूनियन मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अशोक चव्हाण ने फेडरल भारत से विशेष बातचीत में अपनी तमाम मांगों और उस चेतावनी को दोहराया जो प्राधिकरण की गई है। दरअसल, आज दोपहर 2 बजे प्राधिकरण के सीईओ एम लोकेश समेत अधिकारियों के साथ किसानों की मीटिंग होनी है। किसानों ने चेतावनी दी है अगर यह मीटिंग तय समय से नहीं होती है तो हम प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम के घर का घेराव करेंगे।
क्या हैं किसानों की प्रमुख मांगें-
दरअसल, जब किसानों की जमीनों का अधिग्रहण हुआ था तब उनकी जमीन का 90% पैसा उन्हें दिया गया था, बाकी के 10% के एवज में विकसित जमीन दी जानी थी। किसानों की मांग है उन्हें 10 प्रतिशत आबादी भूमि दी जाए। उनकी मांग है कि 1976 से 1997 के जितने भी किसान हैं उनको किसान कोटा स्कीम के तहत प्लॉट मिलना चाहिए। जमीन अधिग्रहण के समय किसानों के घरों का भी अधिग्रहण किया गया तो लीज बैक पॉलिसी के तहत उनके नाम वापस किया जाए। पांच प्रतिशत के प्लॉट दिए जाए और उसमें नियम के अनुसार काम करने की भी छूट दी जाए। सेक्टरों के तर्ज पर गांव का विकास हो और वहां के उद्योग में युवाओं को कोटा दिया जाए।
अस्पतालों में किसानों के लिए आरक्षित बेड का नियम लागू किया जाए।
40 दिन से आंदोलन कर रहे किसान
अपनी मांगों को लेकर 81 गांवों के किसान पिछले लगभग 40 दिन से प्राधिकरण दफ्तर पर धरना व प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए उप्र राजस्व परिषद के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक हाईपावर कमेटी का भी गठन किया गया था। हाल ही में उसकी रिपोर्ट भी सार्वजनिक की गई थी। लेकिन किसान उससे संतुष्ट नहीं हैं।
हाइपावर कमेटी में यह अफसर थे शामिल
यह रिपोर्ट उप्र राजस्व परिषद के अध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित समित ने तैयार की। इसमें मेरठ मंडल आयुक्त और गौतमबुद्द नगर के जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा सदस्य थे। इसे तैयार करने से पहले पांच बार किसानों के साथ बैठक की गई। नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ का सहयोग लिया गया था।
क्या थीं किसानों की मांगें
-1977 के बाद किसानों को बढ़ी हुई दर से मुआवजा दिया जाए।
-किसानों को दस प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाए।
-आबादी जैसी है वैसी छोड़ी जाए। विनयमितिकरण की सीमा 450 वर्गमीटर से बढ़ाकर 1000 प्रतिवर्ग मीटर की जाए।
-भवनों की ऊंचाई बढ़ाने की अनुमति दी जाए, क्योंकि गांवों के आसपास काफी हाइराइज इमारतें हैं। ऐसे में उनका एरिया लो लेयिंग एरिया में आ गया है।
-पांच प्रतिशत विकसित भूखंड पर व्यावसायिक गतिविधियां चलने की अनुमति दी जाएं।
-गांव के विकास के साथ खेल बजट का प्रावधान किया जाए। गांवों में पुस्तकालय बनाए जाएं।
हाईवापर कमेटी रिपोर्ट में दिए सुझाव
-वर्ष 2011 में जिन गांव के किसानों की आबादी के निस्तारण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई, उन गांवों के किसानों के नाम आज तक खतौनी में दर्ज नहीं किए गए। दो माह में नोएडा में 81 गांव के 3839 किसानों की बैकलीज कर नाम खतौनी में चढ़ाया जाएगा।
-अधिग्रहीत एवं कब्जा प्राप्त भूमि पर अब तक अतिक्रमण दिखाकर जिन 6070 किसानों के पांच प्रतिशत विकसित भूखंड को अधिकारियों ने रोक रखा है, उन्हें दो माह में नोएडा प्राधिकरण को देना होगा।
-आबादी निस्तारण के लिए वयस्क का दायरा 450 वर्गमीटर था, जिसे बढ़ाकर 1000 प्रति वर्गमीटर कर दिया गया।
-किसानों की आबादी चयनित कर पेरीफेरल सड़क के द्वारा आबादी को सुनिश्चित किया जाए। सड़क का निर्माण तीन माह के अंदर किया जाए।