मिला आदेशः अप्रैल या मई में हो सकते हैं शहरी स्थानीय निकाय के चुनाव
सुप्रीम कोर्ट की इजाजत मिलने के बाद राज्य चुनाव आयोग अधिसूचना जारी करने की तैयारी में
नोएडा। उत्तर प्रदेश में शहरी निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है। शहरी निकाय चुनाव कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी हरी झंडी दिखा दी है। संभावना है कि राज्य निर्वाचन आयोग अगले दो-तीन दिनों में चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर सकता है। दो दिन में चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद अप्रैल के अंतिम सप्ताह या मई में चुनाव हो सकते हैं।
आयोग ने रिपोर्ट सौंप दी है
उत्तर प्रदेश में शहरी निकाय चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य चुनाव आयोग निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने के लिए तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि हमने ओबीसी कमीशन (आयोग) बना दिया है। कमीशन ने अपनी रिपोर्ट हमें सौंप दी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के साथ उत्तर निकाय शहरी चुनाव कराने के आदेश दिए।
कोर्ट में हुए पेश
सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कोर्ट से कहा कि शहरी स्थानीय निकाय चुनाव मामले में राज्य निर्वाचन आयोग दो दिन में नोटिफिकेशन जारी कर देगा।
अप्रैल या मई में हो सकते हैं चुनाव
यदि उप्र चुनाव आयोग उत्तर प्रदेश दो दिन के भीतर शहरी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करता है तो उसके बाद चुनावी प्रक्रिया को पूरा करने में 15 दिन से एक महीने का समय लग सकता है। ऐसे में चुनाव अप्रैल के अंत में या मई की शुरुआत में नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्षों और सदस्यों का चुनाव संभव हो सकता है।
रिपोर्ट को स्वीकार किया कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के साथ उत्तर प्रदेश शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आयोग की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है। ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर सवाल कई लोगों ने उठाए थे, लेकिन शीर्ष अदालत बिना किसी लाग लपेट के स्वीकृति दे दी।
पहले नहीं मिली थी इजाजत
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में बिना ट्रिपल टेस्ट के ओबीसी आरक्षण के साथ निकाय चुनाव कराने की इजाजत नहीं दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने तब इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था। उप्र सरकार ने पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश के अनुसार ही ओबीसी आयोग का गठन कर दिया था। आयोग ने ढाई महीने में ही अपनी रिपोर्ट ट्रिपल टेस्ट के आधार पर दे दी थी।
आयोग ने जिलों का किया था दौरा
राज्य सरकार द्वारा गठित पिछड़ा वर्ग आयोग ने उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों का दौरा किया था। वहां पिछड़े वर्ग के राजनीतिक प्रतिनिधित्व की जानकारी ली थी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में माना था कि पिछले तीन-चार दशकों से तमाम नगर निकायों में चक्रानुक्रम आरक्षण का पालन नहीं किया जा रहा था। रैपिड टेस्ट की प्रक्रिया को भी सही नहीं माना गया था।