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टूटा रिकार्ड: फैंसी नंबरों से सरकार को हुआ 6 करोड़ का लाभ

यूपी-16 वीआईपी नंबरों की 2886 लोगों ने 6 करोड़ रुपये की खरीदारी की, अब तक की सबसे बड़ी खरीद

नोएडा। यूपी-16 वीआईपी नंबरों ने बिक्री के मामले में इस बार हर साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। हर साल के मुताबिक इस वर्ष अभी तक सबसे ज्यादा 6 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है। यानी कि इस साल अभी तक यूपी 16 वीआईपी नंबर 6 करोड़ रुपये के बिक चुके हैं। कुल 2886 लोगों ने 6 करोड़ रुपये के वीआईपी नंबर खरीदे हैं। इनमें सबसे ज्यादा बिक्री 0001 नंबर की हुई है। यूपी-16 डीएफ 0001 सबसे महंगा नंबर बेचा गया है। बीते साल यह आंकड़ा कुल 5.20 करोड़ रुपये था।

वीआईपी नंबरों की लगी होड़

गौतमबुद्ध नगर परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार यूपी-16 वीआईपी नंबर लेने के लिए लोगों की होड़ लगी हुई है। लगातार वीआईपी नंबर लेने के लिए लोगों की लाइन बढ़ती जा रही है। इनसे उत्तर प्रदेश सरकार का राजस्व बढ़ रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इसमें एक और बड़ी समस्या पैदा हो रही है। जिसका बहुत जल्द निस्तारण किया जाएगा।

फेक बिडर्स के कारण हुआ मोटा नुकसान

समस्या यह है कि कुछ लोग फेक बिडर्स की वजह से वीआईपी नंबर लेने से बचते हैं, लेकिन उसको बहुत ही जल्द रोका जाएगा। इसके लिए तैयारियां की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि फेक बिडर्स के कारण परिवहन विभाग को मोटा नुकसान झेलना पड़ता है। कुछ समय पहले ही फेक बिडर्स के कारण 22 लाख रुपये का नुकसान हुआ था।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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