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प्रमुख किसान नेता सुखबीर खलीफा की जेल से रिहाई, फिर दिखाए प्रशासन को लेकर कड़े तेवर

नोएडा(FBNews): प्नमुख किसान नेता और आंदोलन के अगवा सुखबीर खलीफा को ग्रेटर नोएडा की लुक्सर जेल से शुक्रवार को सुबह रिहा कर दिया गया।उनकी रिहाई पर सैकेड़ों किसान भारी ठंड के बीच लुक्सर जेल पहुंचे और उनका जोरदार स्वागत किया गया। जेल से रिहाई के बाद सुखबीर खलीफा ने धरने पर बैठने का ऐलान करके प्रशासन की नींद उड़ा दी है। उनका कहना है कि जेल में बंद अन्य किसानों की रिहाई भी तत्काल सुनिश्चित की जाए।

किसानों का नेतृत्व कर रहे थे सुखबीर खलीफा
उल्लेखनीय है कि महामाया फ्लाईओवर के पास किसानों के धरने का नेतृत्व करते हुए पुलिस ने अन्य किसानों के साथ सुखबीर खलीफा को  गिरफ्तार करके लुक्सर जेल भेज दिया था। पुलिस द्वारा कानूनी दांवपेच फंसाए जाने की वजह से उन्हें लंबा वक्त इस भीषण ठंड के बीच जेल में बिताना पड़ा। जेल से रिहाई के बाद किसन नेता सुखबीर खलीफा ने फिर धरने पर बैठने का  ऐलान किया है। कुछ किसान अभी भी जेल में बंद हैं।
अब होगी आगे की रणनीति तैयार
रिहाई के बाद किसान नेता ने कहा जब तक समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया जाता है जब तक किसानों का आंदोलन  जारी रहेगा। अब किसान एक बार से आंदोलन की रणनीति तैयार करेंगे। इस बीच जेल से रिहाई के बाद सुखबीर खलीफा का जोरदार ढंग से स्वागत किया गया। उन्होंने नोएडा के किसानों और वकीलों को धन्यवाद कहा और बोले की उनकी रिहाई में जिला बार एसोसिएशन की बड़ी भूमिका रही।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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