पलटवारः उलेमा के फतवे की सामाजिक कार्यकर्ता मुस्लिम महिला ने की निंदा
कहा-ऐसे लोगों को मुस्लिम समाज की कुप्रथा और अशिक्षा को दूर करने के लिए आगे आना चाहिए, आखिर कौन है यह सामाजिक कार्यकर्ता
ग्रेटर नोएडा। कस्बा दादरी में पिछले दिनों मुस्लिम उलेमाओं द्वारा निकाह के दौरान डीजे बजाने और आतिशबाजी पर लगाए गए प्रतिबंध पर सामाजिक कार्यकर्ता जीनत अंसारी ने ऐसे उलेमा को आड़े हाथों लिया है और उनके द्वारा दिए गए फतवे की कड़ी निंदा की है।
किया उलेमा पर पलटवार
सामाजिक कार्यकर्ता जीनत अंसारी ने ऐसे उलेमा पर पलटवार करते हुए कहा कि जब मुस्लिम समाज की गरीब बेटियों का निकाह नहीं होता तब ये उलेमा कहां रहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे उलेमा और मौलानाओं के गरीबों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। मुस्लिम समाज में भी दहेज जैसी कुप्रथा घर करती जा रही है। इसे उन्हें खत्म करने के लिए आगे चाहिए। तीन तलाक जैसे मुद्दे पर उन्हें खुलकर बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी भी मुस्लिम समाज अशिक्षित है। वह शिक्षित कैसे हो, इस पर उन्हें मंथन करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे उलेमा और मौलाना लोगों की मूलभूत समस्याओं और मुद्दे की बात से हमेशा ध्यान भटकाते रहते हैं। ऐसे लोग दो समुदायों को आपस में टकराने का काम कर रहे हैं। उन्हें अपनी ऐसी हरकतों से बाज आना चाहिए।
क्या है मामला
गौरतलब है कि दादरी कस्बे में पिछले दिनों निकाह के दौरान दूल्हा पक्ष के लोग डीजे बजा रहे थे और आतिशबाजी कर रहे थे। इससे स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही थी। उन्होंने पहले उन लोगों को डीजे बजाने और आतिशबाजी बंद करने को कहा। उन्होंने स्थानीय लोगों की नहीं सुनीं। इसकी शिकायत उन्होंने उलेमा और मौलाना से की थी। इस पर उलेमा ने निकाह में डीजे बजाने और आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस प्रतिबंध को नहीं मानने वालों का सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की थी। उन्होंने यह भी घोषणा की थी ऐसे लोगों की पहचान कर उनके जनाने में भी कोई उलेमा और मौलाना शामिल नहीं होगा।