समीक्षाःखनन विभाग की मुख्यमंत्री ने की समीक्षा, दिए दिशा-निर्देश
समीक्षा के दौरान अधिकारियों को दिए कई निर्देश, उपभोक्ताओं के हित भी देखने को कहा
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां खनन विभाग की समीक्षा की। इस मौके पर उन्होंने विभागीय अधिकारियों को कई दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उप खनिज के मामले में उपभोक्ताओं के हित को भी ध्यान में रखे जाना चाहिए।
मूल्य नियंत्रण में रहे
उन्होंने कहा कि सतत प्रयासों से प्रदेश में खनन संबंधी कार्यों में पारदर्शिता आई है। आमजन हों या पट्टाधारक अथवा ट्रांसपोर्टर, सभी की सुविधा का ध्यान रखते हुए अनेक अभिनव प्रयास किए गए हैं। खनन कार्य से जुड़े सभी हितधारकों के लिए पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित हो। यह सुनिश्चित करें कि खनिजों और उप खनिजों के मूल्य नियंत्रण में रहें।
लक्ष्य हासिल करने का हो प्रयास
उन्होंने कहा कि लगातार प्रयासों से वित्तीय वर्ष 2022-23 में गत वर्ष की तुलना में जून तक 168 करोड़ अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई है। यह प्रगति संतोषजनक है। इस वित्तीय वर्ष के लिए खनन कार्यों से ₹4,860 करोड़ राजस्व संग्रह का लक्ष्य है। तदनुरूप आवश्यक प्रयास किए जाएं।
उन्होंने कहा कि इंटीग्रेटेड माइनिंग सर्विलांस के माध्यम से खनन क्षेत्रों की जियो फेंसिंग, खनिज परिवहन करने वालों वाहनों पर माइन टैग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित चेक गेट की व्यवस्था खनन कार्यों को और पारदर्शी बनाने वाली है। बेहतर खनिज प्रबन्धन के माध्यम से राजस्व संग्रह में वृद्धि हुई है। यह प्रयास आगे भी जारी रहना चाहिए।
कृत्रिम अभाव पैदा करने वालों के खिलाफ हो कार्यवाही
उन्होंने कहा कि बालू, मोरम, गिट्टी जैसे उपखनिजों का आम आदमी से सीधा जुड़ाव है। इनकी कीमतों में अनावश्यक बढ़ोतरी न हो। विभिन्न विकास परियोजनाएं भी इससे प्रभावित होती हैं। ऐसे में उपखनिजों का कृत्रिम अभाव पैदा करने वाले कालाबाजारियों के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाए।
निविदा की प्रक्रिया शीघ्र पूरी हो
उन्होंने कहा कि फॉस्फोराइट, पोटाश, स्वर्ण धातु अयस्क, प्लेटिनम समूह के अयस्क, लौह अयस्क, एंडालूसाइट और सिलिमाइट जैसे उर्वरक खनिज, बहुमूल्य धातुओं, लौह धातु और रिफ्रैक्ट्री खनिजों के सम्बंध में निविदा की प्रक्रिया यथाशीघ्र पूरी कर ली जाए।
सीएमपीडीआईएल का सहयोग लें
मुख्यमंत्री ने कहा कि नदी तल स्थित बालू/मोरम आदि के खनन क्षेत्रों की सस्टेनिबिलिटी के लिए तकनीकी संस्थाओं से री-प्लेनिशमेन्ट स्टडी कराई जाए। इस कार्य के लिए भारत सरकार के उपक्रम सीएमपीडीआईएल जैसी प्रतिष्ठित संस्था का सहयोग लें। स्टडी रिपोर्ट के आधार पर ही भावी कार्ययोजना तैयार की जाए।
उन्होंने कहा कि नदियों में बालू/मोरम की पुनर्पूर्ती कम होने के दृष्टिगत बड़े जलाशयों, बांधों की ड्रेजिंग कराने से प्रचुर मात्रा में बालू/मोरम उपलब्ध हो सकेगी। इस संबंध में समयबद्ध रूप से कार्यवाही की जानी चाहिए।
लॉगिंग-आईडी से पारदर्शिता बढ़ेगी
उन्होंने कहा कि बालू/मोरम के विकल्प के रूप में एम-सैंड यानी पत्थरों के क्रशिंग से उत्पन्न कृत्रिम बालू को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में प्रारंभ ‘माइन मित्र’ पोर्टल पर पट्टाधारकों एवं ट्रांसपोर्टरों को भी लॉगिंग-आईडी देकर खनिज व्यवस्था में स्टेक होल्डर बनाया जा रहा है। इससे न केवल सभी को सुविधा होगी, वरन, व्यवस्था में पारदर्शिता भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि माइन मित्र पोर्टल पर खनन विभाग की विभिन्न सेवाएं सहज रूप से उपलब्ध हैं। किसी को अपनी निजी भूमि से मिट्टी निकालनी हो, खरीदी गई मिट्टी का परिवहन करना हो, खनिज कार्यों के लिए लीज, परमिट, रजिस्ट्रेशन आदि को इस प्लेटफार्म से जोड़ा जाना लोगों को काफी सहूलियत देने वाला सिद्ध हो रहा है।
महीने के अंत तक समय दिया जाना चाहिए
मुख्यमंत्री ने कहा कि बालू, मोरम के खनन पट्टों में ऑनलाइन अग्रिम मासिक किश्त के स्थान पर “Pay as you go” व्यवस्था लागू करते हुए महीने के अंत तक पूरी किश्त जमा करने का समय दिया जाना चाहिए। इससे पट्टाधारकों को बड़ी सहूलियत होगी।
उन्होंने कहा कि खनन कार्यों के संबंध में अंतरराज्यीय परिवहन हेतु विनियमन शुल्क के दर में वृद्धि पर विचार किया जाना चाहिए।
रॉयल्टी दर पर हो पुनर्विचार
मुख्यमंत्री ने कहा कि रॉयल्टी दर जो कि वर्तमान में 2016 से प्रभावी है, को पुनरीक्षित करने पर विचार करें। इस सम्बंध में सभी स्टेकहोल्डर्स की राय भी ली जानी चाहिए।
किसी भी दशा में न हो ओवरलोडिंग
उन्होंने कहा कि किसी भी दशा में ओवरलोडिंग न हो। यह नियमविरुद्ध भी है और दुर्घटनाओं का कारक भी बनता है। इस दिशा में सख्ती की जानी चाहिए।