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RSS के समाजसेवी उज्जवल त्रिपाठी महामारी में जरूरतमंदों के लिए बने संजीवनी

बेड से लेकर ऑक्सिजन सिलिंडर, इंजेक्शन, दवाइयां व अन्य मेडिकल संबंधी व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने का कर रहे हैं काम

लखनऊ :आपने एक मुहावरा तो सुना ही होगा ,”कर्म ही पूजा है” दुनियां में ऐसे कई लोग हैं जो किसी की मदद करने को ही अपनी सच्ची पूजा मानते हैं। ये सच है कि जो ख़ुशी किसी जरूरतमंद की मदद करने के बाद होती है,उसकी झलक दिल से लेकर चेहरे तक झलकती है। मदद तो लगभग हर इंसान करता है। कुछ स्वार्थी होकर तो कुछ निःस्वार्थ होकर। एक ऐसा ही चेहरा इस समय लखनऊ वासियों के सामने उनकी मदद करने के लिए सामने आया है।राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए, अब सरकार की मदद करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जरूरतमतमंदों की मदद करने के लिए सामने आया है। जी हाँ उज्जवल त्रिपाठी अपने साथियों की एक टीम बनाकर लोगों को ऑक्सीजन से लेकर बेड, दवाई, भोजन जैसी व्यवस्थाएं करा रहे हैं। इस कार्य को वह अपनी पूजा मान रहे हैं।

कालाबाजारी के बीच काम करना आसान नहीं
यूपी की राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण के फैलते प्रकोप के बीच बिगड़ रही व्यवस्थाओं संभालने के लिए हर कोई आगे आ रहा है कोरोना से संक्रमित मरीजों की बिगड़ रही स्थिति को देखते हुए राजनेता ,अभिनेता, समाजसेवी जरूरतमंदों की मदद करने के लिए आगे आए हैं। जरूरतमंदों की बढ़ती जरूरतों के साथ बढ़ रही कालाबाजारी के बीच किसी का सहयोग करना कोई आम बात नहीं है, लेकिन लखनऊ के रहने वाले संघ के एक स्वयंसेवक लखनऊवासियों के लिए संजीवनी का काम कर रहे हैं। बता दें कि आरएसएस के स्वयंसेवक उज्जवल त्रिपाठी कुछ युवाओं की टीम बनाकर जरूरतमंदों को बेड से लेकर ऑक्सिजन सिलिंडर, इंजेक्शन, दवाइयां व अन्य मेडिकल संबंधी व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने का काम कर रहे हैं।

मदद करने के लिए लोग बढ़चढ़ कर ले रहे हैं हिस्सा
लखनऊ के रहने वाले उज्जवल त्रिपाठी राष्ट्रीय आरएसएस यानि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं। उज्जवल का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के शुरू होने के बाद शहर के हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं। ऐसे में लोगों को ऑक्सिजन और बेड की जरूरत सबसे अधिक पड़ने लगी। लोगों की बढ़ती जरूरतों के साथ बढ़ रही कालाबाजारी को देखते हुए उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर लोगों की हर संभव मदद करने के लिए 12 युवा साथियों की टीम बनाई, जो देखते ही देखते यह संख्या क़रीब 80 लोगों तक पहुंच गई है। उज्जवल ने बताया कि बढ़ती चुनौतियों के साथ ऑक्सिजन की समस्या तेजी से बढ़ने लगी, जिसकी सूचनाएं फोन और सोशल मीडिया के माध्यम से मिलती गई। ऐसे में टीम के साथियों ने जरूरतमन्दों के लिए अलग-अलग ऑक्सिजन प्लांटों पर रात-रात भर खड़े होकर उन्हें ऑक्सिजन उपलब्ध कराने का काम किया।

तकरीबन 500 परिवारों को उपलब्ध कराया ऑक्सिजन सिलिंडर
उज्जवल ने बताया कि परिवार के एक मरीज के संक्रमित होने पर पूरा परिवार टूट जाता हैं, ऐसे में किसी उपकरण या अन्य चीज की व्यवस्था करना बहुत मुश्किल होता है। इन स्थितियों में या तो वह परिवार कालाबाजारी का शिकार होता है और या फिर आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर इलाज न करा पाने की वजह से अपनों को खो देते हैं। उन्होंने बताया कि हम सभी ने अलग -अलग करके समूह बनाए हैं।सभी समूह को अलग -अलग जिम्मेदारी दी गई है। किसी को ऑक्सिजन की जिम्मेदारी तो किसी को अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कराने की जिम्मेदारी, किसी को जीवनरक्षक दवा रेमडेसिविर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी गयी तो किसी को जरूरतमंद परिवार के लिए भोजन और दवाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्होंने बताया कि इस प्रकार से मिले सहयोग के चलते लखनऊ के तकरीबन 500 परिवारों को ऑक्सिजन सिलिंडर की व्यवस्था कराई गई। इतना ही नहीं, गठित टीमों ने सरकारी संस्था से जरूरतमंदों को तकरीबन 200 रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराए, वहीं 240 यूनिट रक्त और प्लाज्मा उपलब्ध कराकर लोगों की जिंदगी बचाने का प्रयास किया गया।उज्जवल मीडिया से बात करते बताया कि समाज के प्रति कुछ करने की भावना उनके मन में बचपन से ही थी। बाल्यावस्था से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से समाजसेवा करने की ऊर्जा मिली इसलिए आज समाज के प्रति समर्पण भाव ने आज मुझे इस ईश्वरीय कार्य के लिए प्रेरित किया।

 

 

मधुमिता वर्मा

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