Sankashti Chaturthi 2025 : संकष्टी चतुर्थी पर करें ये आरती, मिलेगी बाधाओं से मुक्ति !

वैदिक पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भक्त श्रद्धापूर्वक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं।
मान्यता है कि गणपति बप्पा की उपासना करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
अगर आप गणेश जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी (Bhalchandra Sankashti Chaturthi 2025) के अवसर पर विधि-विधान से पूजा करें और आरती का विशेष महत्व रखें। इससे आपकी साधना सफल होगी और शुभ फल की प्राप्ति होगी।
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 17 मार्च को रात 07:33 बजे शुरू होकर 18 मार्च को रात 10:09 बजे समाप्त होगी। ऐसे में भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत 17 मार्च को रखा जा रहा है।
आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए संकष्टी चतुर्थी पर श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें मोदक व फल का भोग अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं और गणपति बप्पा की कृपा प्राप्त होती है।
गणेश जी की आरती (Ganesh ji ki aarti)
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
गणेश जी के मंत्र (Ganpati Mantra)
ॐ गं गणपतये नमः
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा
ऊँ एकदन्ताय विहे वक्र
तुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।