उत्तर प्रदेशदिल्ली

वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री की पुस्तक आंदोलनजीवी का लोकार्पण

केसी त्यागी ने कहा, लोकतंत्र मजबूत रखने के लिए ऐसे आंदोलनों और ऐसी पुस्तकों की जरूरत

नई दिल्ली अमर उजाला समूह के सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री की पुस्तक आंदोलनजीवी का लोकार्पण बुधवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में किया गया। विनोद अग्निहोत्री ने अपने 38 वर्ष के पत्रकारिता जीवन में अनेक किसान आंदोलनों को कवर किया है। लिहाजा, उनकी इस पुस्तक में किसान आंदोलनों का एक लंबा इतिहास समाहित है। वे स्वयं इन आंदोलनों के साक्षी रहे हैं, इसलिए पुस्तक पढ़ने के साथ ही पाठक किसान आंदोलनों की एक मानसिक यात्रा कर लेता है। पुस्तक में अनेक ऐसे अनछुए पहलुओं का भी उल्लेख किया गया है जो समाचार बनने से चूक गईं लेकिन देश में किसानों की दशा, किसानों का आंदोलन, इन आंदोलनों के पीछे चलने वाली राजनीति और इन आंदोलनों में आ रहे बदलाव को समझने के लिए ये प्रसंग बहुत मदद करते हैं। चूंकि, पुस्तक रिपोर्ताज की शैली में लिखी गई है, लिहाजा, इसे पढ़ते समय पाठक आंदोलनों की स्वाभाविक मानसिक यात्रा तय करता है।

पाखी प्रकाशन ने प्रकाशित की है पुस्तक

पुस्तक पाखी प्रकाशन के द्वारा पब्लिश की गई है। इसे पाखी प्रकाशन से प्राप्त की जा सकती है। पुस्तक अमेजन पर भी उपलब्ध है।

कृषि पीछे छूट रही, यह अस्तित्व के लिए खतराः डा.जोशी

भाजपा के शीर्ष नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि वर्तमान समय में आर्टिफिशियल समझ आधारित उद्योगों का विकास हो रहा है, लेकिन कृषि पीछे छूट रही है। इस प्रवृत्ति से देश-दुनिया पर अस्तित्व का संकट मंडरा सकता है, इसलिए समय रहते हुए इसकी गंभीरता को समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में भी इस बात स्थापित हो गई है कि केवल बड़े हथियार बना लेने और औद्योगिक विकास कर दुनिया की भूख नहीं मिटाई जा सकती।

आंदोलन होते रहने चाहिएः केसी त्यागी

जनता दल (यूनाइटेड) के शीर्ष नेता केसी त्यागी ने कहा कि अपने पत्रकारिता और राजनीतिक जीवन में उन्होंने स्वयं क़ई आंदोलन किए हैं, लिहाजा इस तरह के आंदोलनों का महत्व समझते हैं। उन्होंने कहा कि आज देश के कुछ पत्रकार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के भी विरोध में आ गए हैं, लेकिन यह किसानों के लिए दुर्भाग्य का विषय है। उन्होंने कहा कि जब तक इस देश में आन्दोलनजीवी रहेंगे, तब तक देश का लोकतंत्र जीवित रहेगा। आन्दोलन कम होने का एक अर्थ बदलाव की चिंता न होने जैसा है, इसलिए आंदोलन होते रहने चाहिए।

किसान आंदोलनों पर बेहतरीन पुस्तकः द्विवेदी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि देश में हुए किसान आंदोलनों पर आन्दोलनजीवी एक बेहतरीन पुस्तक है। इसे परिपक्व अनुभव के साथ बेहद उत्साह के साथ लिखा गया है। पुस्तक के शीर्षक कारण क़ई बार आंदोलनों के क़ई महत्वपूर्ण बिंदुओं की अपेक्षित चर्चा से छूट जाने का खतरा रहता है, लेकिन इससे आंदोलनों के चित्रण पर कोई असर नहीं पड़ा है और यही पुस्तक की सफलता है। उन्होंने कहा कि देश के क़ई अन्य महत्वपूर्ण आंदोलनों पर भी विस्तार के साथ लिखा जाना चाहिए।

किसानों की समस्याओं का अंत नहीं हुआः आलोक मेहता

वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने कहा कि देश ने आज़ादी से लेकर अब तक क़ई बड़े आंदोलन देखे हैं, लेकिन इसके बाद भी किसानों की समस्याओं का अंत नहीं हुआ है। क़ई आंदोलनों के नाम पर कुछ लोग अपना लाभ उठाने की कोशिश करते आए हैं, आन्दोलनजीवी जैसी पुस्तकों में इन लोगों के बारे में भी लिखा जाना चाहिए।

देश के क़ई प्रमुख आंदोलनों में अहम भूमिका निभा चुके डॉ. सत्येंद्र ने कहा कि किसानों की समस्याएं और शिकायतें अलग-अलग हैं। इनकी सही पहचान कर उपचार किया जाना चाहिए। वहीं, रण सिंह आर्य ने कहा कि उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हुए किसान आंदोलनों में भूमिका निभाई और इसका एक सकारात्मक अनुभव रहा।

देश के किसानों के संघर्ष की यात्रा है ये पुस्तक

स्वागत उद्बोधन में ‘आंदोलनजीवी’ पुस्तक के लेखक विनोद अग्निहोत्री ने कहा कि यह पुस्तक देश में किसानों के आंदोलन की एक लंबी यात्रा का वृत्तांत प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक का शीर्षक किसानों के उन संघर्षों के प्रति समर्पित है जो देश की आज़ादी के बाद से अब तक हुई है। इसमें सबसे हाल ही में हुए किसान आंदोलन की कहानी भी शामिल हैं। उन्होंने इस पुस्तक को लिखने का श्रेय पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने सहयोगी रहे वरिष्ठ पत्रकारों और अपनी धर्मपत्नी अंजू पांडेय अग्निहोत्री को दिया।

कार्यक्रम के अंत में उन्होंने कार्यक्रम में आए लोगों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में वरुण गांधी,  आलोक मेहता, अक्कू श्रीवास्तव, आशुतोष, डॉ. सत्येंद्र, रण सिंह आर्य, चौधरी पुष्पेंद्र सिंह, जगदीश ममगाईं और अन्य गणमान्य लोगों ने भाग लिया।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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