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फोर्टिस अस्पताल पर गंभीर आरोप : मरीज के डॉक्यूमेंट्स पर फर्जी लोन लेने का मामला, बीटा 2 पुलिस द्वारा जांच जारी
Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा के फोर्टिस अस्पताल से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया है। फोर्टिस अस्पताल पर मरीज के दस्तावेजों का दुरुपयोग कर फाइनेंस कंपनियों से फर्जी लोन लेने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले में फोर्टिस अस्पताल, राम तीरथ लीजिंग एंड फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड और मोंडो फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड शामिल है। बीटा 2 पुलिस फिलहाल इस मामले की जांच कर रही है, जिसे कोर्ट के आदेश पर शुरू किया गया है। मामला ब्लॉक डी, औद्योगिक क्षेत्र, सूरजपुर साइट 4, ग्रेटर नोएडा स्थित फोर्टिस अस्पताल का है।
क्या है पूरा मामला?
ग्रेटर नोएडा के निवासी राहुल बंसल ने अपनी पत्नी अंजू बंसल के इलाज के लिए फोर्टिस अस्पताल का रुख किया था। अंजू को छाती में दर्द था, और गाजियाबाद के अस्पताल से उन्हें दिल्ली के एम्स रेफर किया गया था। लेकिन एम्स में लंबी वेटिंग की वजह से डॉक्टर ने तत्काल इलाज कराने की सलाह दी और 1 अप्रैल 2023 को उन्हें फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया। इस दौरान अस्पताल ने उनसे ₹9292 की राशि जमा कराई और साथ ही उनकी हेल्थ पॉलिसी और अन्य दस्तावेज (जिसमें कैंसिल चेक भी शामिल था) भी जमा किए। अस्पताल के कर्मियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि क्लेम पास होने के बाद यह राशि वापस कर दी जाएगी।
फर्जी लोन का आरोप
राहुल के अनुसार, डिस्चार्ज होने के बाद भी जमा राशि वापस नहीं की गई। इसके बाद, उन्हें छह महीने बाद अज्ञात नंबरों से कॉल आने लगीं, जिसमें बताया गया कि फोर्टिस अस्पताल ने उनकी बिना सहमति के फर्जी लोन लिया है। राहुल ने जब अस्पताल से इस बारे में संपर्क किया, तो उन्हें धमकी देकर वहां से भगा दिया गया। राहुल के अनुसार अस्पताल ने उनकी मेडिक्लेम पॉलिसी का क्लेम कैंसिल कर दिया था और इसके बाद राम तीरथ लीजिंग एंड फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड और मोंडो फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड से लोन लेकर अस्पताल का बिल चुकता किया। राहुल का आरोप है कि अस्पताल के कर्मचारियों ने उनके दस्तावेजों का दुरुपयोग कर उनके बिना सहमति के लोन लिया और उनके दस्तावेजों की कूट रचना की।
कोर्ट और पुलिस की कार्रवाई
राहुल ने पहले स्थानीय पुलिस और कोतवाली में शिकायत की, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके बाद, राहुल ने कोर्ट में शिकायत दर्ज की, जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर बीटा 2 पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की।
अस्पताल ने मामले में दी सफाई
मामले में फोर्टिस अस्पताल ग्रेटर नोएडा प्रबंधन ने फेडरल भारत को दिए अपने बयान में कहा कि अस्पताल पर लगाए गए आरोप पूरी तरह भ्रामक हैं। वर्ष 2023 में मरीज के परिवार ने अपनी इच्छा से थर्ड-पार्टी क्लेम थेरेपिस्ट की सेवा ली थी, क्योंकि उस समय अस्पताल के पास स्टार हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। मरीज के इलाज का कुल बिल लगभग 1.68 लाख रुपये था, जिसमें से 10,000 रुपये मरीज के परिवार द्वारा भुगतान किए गए और शेष राशि का निस्तारण क्लेम थेरेपिस्ट ने किया। फोर्टिस अस्पताल ने मरीज के परिवार द्वारा चुनी गई प्रक्रिया का पालन करते हुए उन्हें चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराईं और बाकी प्रक्रिया क्लेम थेरेपिस्ट द्वारा आगे बढ़ाई गई।
क्या है पूरा मामला?
ग्रेटर नोएडा के निवासी राहुल बंसल ने अपनी पत्नी अंजू बंसल के इलाज के लिए फोर्टिस अस्पताल का रुख किया था। अंजू को छाती में दर्द था, और गाजियाबाद के अस्पताल से उन्हें दिल्ली के एम्स रेफर किया गया था। लेकिन एम्स में लंबी वेटिंग की वजह से डॉक्टर ने तत्काल इलाज कराने की सलाह दी और 1 अप्रैल 2023 को उन्हें फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया। इस दौरान अस्पताल ने उनसे ₹9292 की राशि जमा कराई और साथ ही उनकी हेल्थ पॉलिसी और अन्य दस्तावेज (जिसमें कैंसिल चेक भी शामिल था) भी जमा किए। अस्पताल के कर्मियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि क्लेम पास होने के बाद यह राशि वापस कर दी जाएगी।
फर्जी लोन का आरोप
राहुल के अनुसार, डिस्चार्ज होने के बाद भी जमा राशि वापस नहीं की गई। इसके बाद, उन्हें छह महीने बाद अज्ञात नंबरों से कॉल आने लगीं, जिसमें बताया गया कि फोर्टिस अस्पताल ने उनकी बिना सहमति के फर्जी लोन लिया है। राहुल ने जब अस्पताल से इस बारे में संपर्क किया, तो उन्हें धमकी देकर वहां से भगा दिया गया। राहुल के अनुसार अस्पताल ने उनकी मेडिक्लेम पॉलिसी का क्लेम कैंसिल कर दिया था और इसके बाद राम तीरथ लीजिंग एंड फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड और मोंडो फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड से लोन लेकर अस्पताल का बिल चुकता किया। राहुल का आरोप है कि अस्पताल के कर्मचारियों ने उनके दस्तावेजों का दुरुपयोग कर उनके बिना सहमति के लोन लिया और उनके दस्तावेजों की कूट रचना की।
कोर्ट और पुलिस की कार्रवाई
राहुल ने पहले स्थानीय पुलिस और कोतवाली में शिकायत की, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके बाद, राहुल ने कोर्ट में शिकायत दर्ज की, जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर बीटा 2 पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की।
अस्पताल ने मामले में दी सफाई
मामले में फोर्टिस अस्पताल ग्रेटर नोएडा प्रबंधन ने फेडरल भारत को दिए अपने बयान में कहा कि अस्पताल पर लगाए गए आरोप पूरी तरह भ्रामक हैं। वर्ष 2023 में मरीज के परिवार ने अपनी इच्छा से थर्ड-पार्टी क्लेम थेरेपिस्ट की सेवा ली थी, क्योंकि उस समय अस्पताल के पास स्टार हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। मरीज के इलाज का कुल बिल लगभग 1.68 लाख रुपये था, जिसमें से 10,000 रुपये मरीज के परिवार द्वारा भुगतान किए गए और शेष राशि का निस्तारण क्लेम थेरेपिस्ट ने किया। फोर्टिस अस्पताल ने मरीज के परिवार द्वारा चुनी गई प्रक्रिया का पालन करते हुए उन्हें चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराईं और बाकी प्रक्रिया क्लेम थेरेपिस्ट द्वारा आगे बढ़ाई गई।