शिवसेना ने शाह को दो गलती वाले बयान पर घेरा, कहा—जम्मू-कश्मीर के प्रति उनका क्या योगदान है, कश्मीरी पंडितों की नहीं कराई वापसी
लोकसभा से जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर बुधवार को मंजूरी मिल गई। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा था। वहीं, शिवसेना सांसद अरविंद सावंत और प्रियंका चतुर्वेदी ने उनके जवाब पर सवाल उठाए हैं।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने एक्स पर लिखा कि, सत्ता में आने से पहले भी वे यही बात कह रहे थे। वे बिना कुछ किए देशभक्ति का भ्रम फैलाने वाले नैरेटिव सेट करने में माहिर हैं। इतने सारे सैनिक मारे जा रहे हैं, कश्मीर में पुलिस अधिकारी लगातार मारे जा रहे हैं। 370 को हटाना बुरी तरह विफल रहा। इसलिए इन मुद्दों का उचित जवाब देने के बजाय, वे अन्य भ्रम पैदा करेंगे … कृपया शांति बनाए रखें सबसे पहले जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र बहाल करें।”
उधर, सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा कि बीजेपी ने 75 साल पुराना इतिहास उठाकर और पंडित जवाहरलाल नेहरू की आलोचना करके बहुमत की सरकार बनाई है। जब उनकी बहुमत की सरकार थी धारा 370 हटा दी गई, उन्होंने कहा कि उन्होंने इतिहास रचा है। तो जो लोग यहां इतिहास रचने आए थे, वे यह नहीं बता पा रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में अब तक चुनाव क्यों नहीं हुए। वे यह नहीं बता पा रहे हैं कि उन्होंने क्यों नहीं किया आतंकवादी हमलों को समाप्त करने और पाकिस्तान को ‘लाल आंखें’ दिखाने के अपने वादे के बारे में कुछ भी करने में सक्षम नहीं हैं। वे इस बारे में बोलने में असमर्थ हैं कि वे आज तक कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए एक सुरक्षित वातावरण कैसे प्रदान नहीं कर पाए हैं। किसी और पर उंगली उठाने और इतिहास की आलोचना करने से पहले उन्हें खुद पर नजर डालनी चाहिए कि जम्मू-कश्मीर के प्रति उनका क्या योगदान है।”
यह पूरा मामला
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू के फैसले के कारण दो गलतियों से समस्याओं को झेला है। जिसके कारण कश्मीर को कई वर्षों तक नुकसान उठाना पड़ा। पहला है युद्धविराम की घोषणा करना – जब हमारी सेना जीत रही थी, सीजफायर लगाया गया। अगर तीन दिन बाद सीजफायर होता तो पीओके आज भारत का हिस्सा होता। अपने आंतरिक मुद्दे को यूएन में ले जाना भी बड़ी गलती थी।
अमित शाह ने देश के पहले प्रधानमंत्री निशाना साधते हुए पहली संघर्ष विराम की घोषणा और फिर कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना शामिल था। यदि जवाहरलाल नेहरू ने सही कदम उठाए होते, तो पीओके हमारा हिस्सा होता। उन्होंने सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों का दर्द समझते हैं तथा एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने पिछड़ों के आंसू पोंछे हैं।