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उत्तर प्रदेशलखनऊ

रणनीति तैयारः उत्तर प्रदेश और अधिक बढ़ेगी गन्ने की मिठास

चीनी मिलों का आधुनिकीकरण, डिस्टलरी प्लांट और सल्फर मुक्त चीनी बनेगी जरिया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के 50 लाख से अधिक गन्ना उगाने वाले किसानों के परिवारों में गन्ना और अधिक मिठास घोलेगा। इसके लिए योगी सरकार-02 में अगले पांच साल के लिए मुकम्मल रणनीति तैयार कर ली गई है। समग्रता में बनी इस रणनीति में चीनी मिलों का आधुनिकीकरण, डिस्टलरी प्लांट, सल्फर मुक्त चीनी का उत्पादन से लेकर गन्ने के उपज से लेकर रकबा और चीनी का परता बढ़ाने पर चरणबद्ध तरीके से काम होंगे।

480 करोड़ से होगा 14 मिलों का आधुनिकीकरण

इस क्रम में प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल्स संघ लिमिटेड की 14 चीनी मिलों की चरणबद्ध तरीके से अपग्रेडेशन की कार्ययोजना तैयार की है।  इसमें कुल करीब 480 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। पहले चरण में वर्ष 2022-2023 में अलीगढ़ की साथा, सुल्तानपुर और महराजगंज- नौतनवा की चीनी मिलों का आधुनिकीकरण होना है। इन तीनों मिलों के आधुनिकीकरण में करीब 95 करोड़ की लागत का पूर्वानुमान है। दूसरे चरण (2023-2024) में कासगंज की बिलासपुर, बरेली की सीमाखेड़ा और पीलीभीत की पूरनपुर चीनी मिल के आधुनिकीकरण में सरकार 105 करोड़ रुपये खर्च करेगी। तीसरे चरण 2024-2025 में मऊनाथ भंजन जिले की घोसी, सीतापुर की महमूदाबाद, पीलीभीत की बीसलपुर और बदायूं की चीनी मिलों का आधुनिकीकरण होना है।

पांच साल की कार्ययोजना के अंतिम चरण में फर्रुखाबाद की कायमगंज, मुजफ्फरनगर की मोरना, शाहजहांपुर की तिलहर और बागपत की चीनी मिलों का अपग्रेडेशन होना है। बाद की दो चरणों में जिन आठ चीनी मिलों का आधुनिकीकरण होना है उसमें सरकार 140-140 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

तीन मिलों में स्थापित होंगी डिस्टलरी की इकाइयां

इसी तरह चरणबद्ध तरीके से उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड की तीन चीनी मिलों गोरखपुर की पिपराइच, मेरठ की मोहिउद्दीनपुर में डिस्टलरी और बाराबंकी की बुढ़वल चीनी मिल में कोजन प्लांट, सल्फरमुक्त प्लांट और डिस्टलरी की स्थापना होनी है। इन तीनों में प्रदेश सरकार और केंद्र का अंशदान क्रमशः 30 प्रतिशत अंशदान और 70 प्रतिशत ऋृण होगा। छाता मथुरा में 550 करोड़ रुपये की लागत से मल्टीफ़ीड डिस्टलरी शुगर काम्प्लेक्स की स्थापना भी होगी।

गन्ना उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य

मिलों के आधुनिकीकरण के अलावा सरकार ने पांच साल में प्रति हेक्टेयर गन्ने की उत्पादकता 81.5 टन से बढ़ाकर 84 टन करने का लक्ष्य रखा है। इसी अवधि में चीनी का पड़ता 11.46 फीसद से बढ़कर 11.56 फीसद करने का भी लक्ष्य रखा है। गन्ना एवं इसके सह उत्पादों के जरिए शुगर टूरिज़्म को बढ़ावा, गणना किसान संस्थान में शुगर म्यूजियम, संघ एवं निगम की मिलों द्वारा उत्पादित चीनी मिलों के लिए विक्रय केंद्रों की स्थापना और हर साल गुड़ महोत्सव का आयोजन अन्य कार्यक्रम हैं।

गन्ना किसानों को रिकॉर्ड भुगतान

किसानों की खुशहाली मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपने पहले कार्यकाल से ही सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। ये तभी संभव है जब प्रदेश के करीब 50 लाख गन्ना उगाने वाले किसान खुशहाल हों। इसके मद्देनजर योगी सरकार के पहले कार्यकाल में अभूतपूर्व कार्य हुए। मसलन गन्ना किसानों के बकाए का रिकॉर्ड भुगतान हुआ। भुगतान के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश सरकार ने 2017 से अब तक 1. 75 लाख करोड़ से अधिक का भुगतान कर नया रिकॉर्ड कायम किया है।

कोरोना काल में भी नहीं बंद हुईं चीनी मिलें

यहाँ तक कि कोरोना कालखंड में उत्तर प्रदेश की सभी मिलें पूरी क्षमता से चलीं और चीनी उत्पादन का देश में रिकॉर्ड बनाया। जहां एक ओर महाराष्ट्र, राजस्थान और पंजाब की चीनी मिलें कोरोना काल में बंद रहीं वहीं योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में एक भी चीनी मिल कोरोना काल में बंद नहीं होने दी। 2017 में योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही किसानों को मुख्य एजेंडे में रखते हुए सभी बंद पड़ी चीनी मिलों को शुरू कराया साथ ही डेढ़ दर्जन से अधिक चीनी मिलों की क्षमता बढ़ाई। पिपराइच, मुंडरेवा, रमाला में नई चीनी मिलें शुरू कीं। रमाला (बागपत) की पेराई क्षमता 2,750 टी.सी.डी. से 5,000 टी.सी.डी. कर 27 मेगावाट को-जनरेशन प्लान्ट की स्थापना की गई। सहकारी क्षेत्र में 200 किलो लीटर प्रतिदिन एथनॉल उत्पादन क्षमता सृजित 50 लाख कुंतल बायोकम्पोस्ट किसानों को उपलब्ध कराया गया। योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान मोहिउद्दीनपुर (मेरठ) चीनी मिल की 2,500 टी.सी.डी. से 3,500 टी. सी. डी. पेराई क्षमता का विस्तारीकरण एवं 15 मेगावाट कोजन प्लान्ट की स्थापना कर पेराई सत्र 2017-18 से उसका संचालन किया।  पिपराइच (गोरखपुर) एवं मुण्डेरवा (बस्ती) में 5,000 टी. सी. डी. क्षमता की नई चीनी मिल, सल्फरलेस प्लान्ट व 27 मेगावाट क्षमता के कोजन प्लान्ट की स्थापना कर पेराई सत्र 2020-21 से संचलित की गई। पिछली सरकारों में जहां 25 सालों से खाण्डसारी का एक भी लाइसेंस जारी नहीं हुआ था।

खांडसारी इकाइयों के 270 लाइसेंस जारी

योगी सरकार ने 270 खांडसारी इकाइयों को लाइसेंस दिया और इससे 50 हजार लोगों को रोजगार भी मिला।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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