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सुझावः कोनरवा ने नोएडा व ग्रेटर नोएडा को प्रदूषण मुक्त करने के उपाय बताए

नोएडा व ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के सीईओ पत्र को पत्र लिखकर दिए 12 सुझाव

नोएडा। कोनरवा ने नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र भेजकर नोएडा को प्रदूषण मुक्त करने का अनुरोध किया है। कोनरवा के अध्यक्ष और संयोजक पीएस जैन व अशोक हाक द्वारा भेजे गए पत्र में नोएडा महानगर में प्रदूषण फैलने के 12 कारण बताए गए हैं। इन कारणों से निजात पाने के उपाय भी सुझाए गए हैं।

प्रदूषण से लोगों को होती है असुविधा

मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि नोएडा में बढ़ते प्रदूषण से आम लोगों को असुविधा होती है। इसे दूर किया जाना बहुत जरूरी है। पत्र में कहा गया है कि नोएडा में ही नही अपितु पूरे जिले गौतमबुद्ध नगर में प्रदूषण का स्तर PM 2.5 व PM 10 दोनो ही प्रायः इन दिनों मानकों से बहुत अधिक रहता है। 1 अक्टूबर से GRAP भी लगा दिया गया है। वर्तमान में तो प्रदूषण का स्तर PM 2.5 व PM 10 दोनों का ही नोएडा सहित पूरे गौतमबुद्ध नगर में खतरे के स्तर पर पहुंच चुका है। इससे लोगों को सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। इसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आने वाले दिनो में यह और भी ज्यादा होने की आशंका है।

सभी को मिलकर काम करना चाहिए

पत्र में कहा गया है कि सर्दियों का मौसम शुरू होने जा रहा है। त्योहारो में दीपावली व छठ जैसे त्यौहार आ रहे है। इस पर अतिशबाजी और पटाखों से प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। हमें शहर की स्वच्छता अभियान के मॉडल पर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तुरन्त काम शुरू करना चाहिए। शहर को सबसे प्रदूषित 10 शहरो की श्रेणी से निकाला जाना चाहिए। इसके लिए हम सभी को मिलकर कार्य करना होगा।

हवा के साथ फैलता है प्रदूषण

पत्र में कहा गया है कि वायु प्रदूषण का उत्तपति कहीं से भी हो वह, हवा के साथ अन्य क्षेत्रों में भी फैलता है। इसलिए पूरे नोएडा, ग्रेटर नोएड़ा क्षेत्र में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक साथ उत्पत्ति के सभी स्रोतों पर नीति बनाकर एक साथ कार्यवाही करने की आवश्यकता है। इसके प्रति आम लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है।

प्रदूषण की उत्पत्ति के कारण व बचाव

1-निर्माण कार्य भी मानको पर चारों ओर से ढक कर किया जाना चाहिए। निर्माण सामग्री व मिट्टी के ढेर लगाकर खुले में नहीं रखना चाहिए। उन्हें चारों तरफ से घेर कर रखा जाना चाहिए, जिससे हवा चलने पर निर्माण सामग्री व मिट्टी हवा में न उडे। आवश्यकतानुसार उस पर STP Water (Waste Water) का छिड़काव किया जाना चाहिए। पुराने निर्माण को तोड़ने के समय उस बिल्डिंग को चारों तरफ से ढका होना चाहिए तथा थोड़ा-थोड़ा तोड़ा जाना चाहिए जिससे प्रदूषण कम हो।

  1. सरकारी ठेकेदारों द्वारा ठेके के लिए निर्माण व मरम्मत के लिए खुदाई की मिट्टी की सफाई तुरन्त की जानी चाहिए न कि उस फैलाकर छोड़ देना चाहिए। उस पर पानी का छिड़काव भी कराते रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त निर्माण सामग्री सार्वजनिक स्थान पर डालकर ढेर नहीं लगाया जाना चाहिए। आवश्यकतानुसार उतनी ही आवश्यक सामग्री लाकर काम करना चाहिए। साथ ही कार्य स्थल की सफाई करनी चाहिए। अगर कोई सामग्री रखना अति आवश्यक हो, तो उपरोक्त सावधानियां बरतनी चाहिए। जैसे की उस सामग्री को ढककर रखना, पानी का छिड़काव कर उसे हवा में उड़ने से बचाव करना तथा कम से कम स्थान को घेरना।
  2. माल वाहक वाहन जैसे मिट्टी, रेत, बदरपुर, सीमेन्ट, कूडा-करकट, गारबेज आदि वाहन शत-प्रतिशत तिरपाल से ढके होने चाहिए।
  3. सभी शहरी क्षेत्रों में सड़कों की सफाई वैक्यूम मशीन से रात में की जानी चाहिए। ताकि धूल न उड़े। तथा सड़कों के किनारों में एकत्र मिट्टी की भी सफाई कराकर उठाना चाहिए जिससे हवा व वाहनों के साथ न उड़े।

5.किसी भी परिस्थिति में कूड़ा-करकट व अन्य वस्तुओं को जलाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए, क्योकिं यह भी प्रदूषण का एक बहुत बड़ा कारण है।

  1. औद्योगिक इकाइयॉ जिनसे प्रदूषण निकलता है, वहॉ पर प्रदूषण की रोकथाम के नियमों का सख्ती से पालन कराया जाना चाहिए। इसकी नियमित जॉच भी होनी चाहिए। अति संवेदनशील प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों को अलग से चिन्हित किया जाना चाहिए तथा उन पर एक अलग से नीति बना कर उपयुक्त कदम उठाए जाने चाहिए।
  2. पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने के लिए जहॉं भी सम्भव हो वहॉं पर अभियान चलाकर पौधे लगाए जाने चाहिए। बाद में भी रखरखाव होना चाहिए।
  3. प्रायः देखा गया है कि पुराने घरो में रेनोवेसन का कार्य कराते समय टूट-फूट का कूड़ा सड़कों पर डाल दिया जाता है जो कई कई दिनों तक ऐसे ही पडा रहता है। जो हवा के साथ मिलकर प्रदूषण को बढ़ाते हैं। ऐसे कूड़े को शीघ्र ही सड़कों से हटाया जाना चाहिए। इसकी जवाबदेही मकान मालिक की होनी चाहिए।
  4. शहर में चल रहे जनरेटर से बहुत अधिक प्रदूषण हो रहा है। इस पर भी उपयुक्त कदम उठाने चाहिए। जहॉ पर भी जनरेटर का प्रयोग किया जा रहा है। उन सभी को गैस (सीएनजी व एलपीजी) से चलने वाले जनरेटरों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  5. शहर में अनेक कम्पनियों वायु व पानी का प्रदूषण अधिक कर रही है। मानको के अनुसार उपयुक्त कदम नही उठा रही हैं। उन्हें भी चिन्हित कर प्रदूषण कम करने के उपाय करने चाहिए।
  6. हमें सेक्टरों की आरडब्लूए, शिक्षण संस्थानों आदि के साथ मिलकर जागरूकता कार्यक्रम चलाने चाहिए जिससे नागरिको को प्रदूषण के प्रति सचेत किया जा सके।
  7. शहर की सड़कों पर चलने वाले वाहनों की भी नियमित प्रदूषण जॉच की जानी चाहिए। मानक से अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर नियमानुसार कार्यवाही की जानी चाहिए।

पत्र में अनुरोध किया गया है कि सुझाए गए बिन्दुओं को अमल लाकर शहर को प्रदूषण से मुक्ति के लिए कार्यवाही की जानी चाहिए।

पत्र की प्रतिलिपि राज्य के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, औद्योगिक विकास, कमिश्नर, मेरठ मंडल, मेरठ,  जिला अधिकारी, गौतमबुध नगर आदि को भी भेजी गई है।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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