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रितु माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा झटका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी कर रखा है गैर जमानती वारंट

नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से जारी किए गए गैर जमानती वॉरंट मामले में नोएडा अथॉरिटी की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रितु माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने रितु माहेश्वरी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऋतु माहेश्वरी के खिलाफ अवमानना मामले में पेश नहीं होने पर गैर जमानती वॉरंट जारी किया हुआ है। यही नहीं रितु माहेश्वरी को पुलिस हिरासत में न्यायालय के समक्ष पेश करने का आदेश भी दिया है। गौतमबुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को इस आदेश के पालन की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।

गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण के एक मामले में मामला मुकदमा हारने के बाद भी नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा अदालत के आदेशों का पालन नहीं करने पर किसान की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई थी। इस मामले में अदालत ने माहेश्वरी को खुद अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया था। लेकिन वे हाजिर नहीं हुईं। इस अदालत ने कड़ी रुख अपनाते हुए सीईओ के खिलाफ गैर जमानती वारंट (नान बेलेबुल) जारी किया है।

नोएडा के सेक्टर 82 में प्राधिकरण ने 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को अर्जेंसी क्लोज के तहत भूमि अधिग्रहण किया था। इस अधिग्रहण को जमीन की मालिक मनोरमा कुच्छल ने अदालत में चुनौती दी थी। 1990 में मनोरमा ने याचिका दायर की थी। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण को रद कर दिया था। मनोरमा को सर्किल रेट से दो गुने दर पर मुआवजा देने का आदेश दिया गया था। इसके अलावा हर याचिका पर पांच-पांच लाख खर्च का अनुमान लगाकर भरपाई के आदेश भी दिए गए थे। इस आदेश के खिलाफ प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। वहां से वह मुकदमा हार गई। फिर भी प्राधिकरण ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। इस पर मनोरमा ने अवमानना याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 27 अप्रैल को आदेश पारित किए थे।

रितु माहेश्वरी को अदालत ने चार मई को हाजिर होने का आदेश दिया था लेकिन वे अदालत में हाजिर नहीं हुईं। इसके पहले भी वे 28 अप्रैल को सुनवाई के दौरान कोर्ट में हाजिर नहीं हुई थीं।

मामले की सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना के कहा कि अगर आप हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करते तो आपको इसका नतीजा झेलना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा आप आईएएस अधिकारी हैं, आपको नियम पता है। सीजआई ने कहा कि हर दूसरे दिन कुछ अधिकारी गंभीर मामलों में भी निर्देश के लिए कोर्ट आ जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हर रोज इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन होता है। यह दिनचर्या हो गई है। हर रोज एक अधिकारी कोर्ट आ जाता है, यह क्या है? आप अदालत के आदेश का सम्मान नहीं करते।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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