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अल्पसंख्यकों को ‘कठमुल्ला’ बताने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त

लखनऊ (फेडरल भारत/एजेंसी) : देश का कानून बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा, क्योंकि घर या समाज में भी बहुमत की राय को ही माना जाता है, ऐसा कहकर आलोचना के केंद्र में आए इलाहाबाद उच्च न्याय के जस्टिस शेखर कुमार यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट ने जांच शुरू कर दी है। उन्होंने यहा बयान विश्व हिंदू परिषद की लीगत सेल की ओर से आयोजित कार्यक्रम में दिया था, साथ ही देश के अल्पसंख्यक वर्ग को लेकर घोर आपत्तिजनक शब्द ‘कठमुल्ला’ का भी इस्तेमाल किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगवाए बयान से जुड़े तथ्य
हाईकोर्ट के जस्टिस के इस बयान के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने शेखर कुमार यादव के बयान से जुड़े तथ्यों और वीडियो-आडियो क्लिप मंगाए हैं। इस मामले में कैंपेन फॉर जुडिशियल अकाउंटबिलिटी एंड रिफार्म्स नामक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र भेजकर हाईकोर्ट के जस्टिस के बयान पर आपत्ति जताते हुए न्यायोचित कारवाई की मांग की है। लेटर में कहा गया कि इस तरह के बयान आम नागरिकों की नजर में न्यायपालिका की निष्पक्षता और स्वायत्ता पर संदेह उत्पन्न करते हैं। ऐसे मामलों में एक्शन की जरूरत है।
न्यायाधीश का बयान संविधान का उल्लंघन है
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना से कहा कि जस्टिव यादव ने मुस्लिम समाज के प्रति जिस प्रकाऱ के शब्दों का इस्तेमाल किया है, वह उच्च न्यायालय जैसी उच्च और निष्पक्ष संस्था की प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाती है। साथ ही उनका बयान संविधान के आर्टिकल 12, 21, 25 और 26 का भी उल्लंघन है। पत्र में जस्टिस यादव के बयान को जजों के लिए तय नियमावली और आचार संहिता के भी विरुद्ध है। उनके बयान की तमाम वकीलों और लीगल प्रोफेशनल ने भी कड़ी आलोचन की है।

 

 

 

 

 

 

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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