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सर्वेक्षणः ‘मन की बात’ ने कराया भारत का भारत से परिचय, आईआईएमसी के सर्वेक्षण में 76 प्रतिशत लोगों की राय

63 फीसद लोग यू-ट्यूब पर सुनना पसंद करते हैं, 40 प्रतिशत का मानना है कार्यक्रम का सबसे प्रभावशाली विषय रहा ‘शिक्षा’

नई दिल्ली भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में 76 फीसदी भारतीय मीडियाकर्मियों की राय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ ने भारत का भारत से परिचय कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं, 75 प्रतिशत लोगों का कहना है कि ‘मन की बात’ एक ऐसे मंच के रूप में सामने आया है, जहां लोगों का ऐसे व्यक्तियों से परिचय कराया जाता है, जो जनसामान्य के जीवन में सार्थक बदलाव लाने के लिए निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं।

12 से 25 अप्रैल के बीच हुआ सर्वेक्षण

आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने बताया कि संस्थान के आउटरीच विभाग द्वारा यह सर्वेक्षण इस महीने 12 से 25 अप्रैल के बीच किया गया। इस सर्वेक्षण में देशभर के 116 अकादमिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों एवं मीडिया समूहों के कुल 890 पत्रकारों, मीडिया शिक्षकों, मीडिया शोधार्थियों और जनसंचार के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। इनमें 326 महिलाएं एवं 564 पुरुष शामिल थे। सर्वे में शामिल होने वाले 66 प्रतिशत लोग 18 से 25 वर्ष की उम्र के थे।

सुनने के लिए इसलिए लोग होते हैं प्रेरित

सर्वेक्षण में शामिल लोगों के अनुसार ‘देश की जानकारी’ और ‘देश के प्रति प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण’, दो प्रमुख कारण हैं, जो दर्शकों को इस कार्यक्रम को सुनने के लिए प्रेरित करते हैं। अध्ययन के तहत लोगों से जब यह पूछा गया कि अगर कभी वे कार्यक्रम को लाइव नहीं सुन पाते हैं, तो फिर कैसे सुनते हैं, तो 63 प्रतिशत लोगों का कहना था कि अन्य माध्यमों की तुलना में वे यूट्यूब पर ‘मन की बात’ सुनना ज्यादा पसंद करते हैं। वहीं, 76 प्रतिशत लोगों के अनुसार ‘मन की बात’ में विभिन्न मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों को सुनकर उन्हें ऐसा एहसास होता है कि वे भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदार हैं।

यह भी समझने की कोशिश

प्रो. द्विवेदी के अनुसार सर्वेक्षण में यह भी समझने की कोशिश की गई कि प्रधानमंत्री द्वारा ‘मन की बात’ में चर्चा किए गए किस मुद्दे ने लोगों के जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित किया। इसके जवाब में 40 प्रतिशत लोगों ने कहा की ‘शिक्षा’ सबसे प्रभावशाली विषय है, जिसने उन्हें सोचने पर मजबूर किया, वहीं 26 प्रतिशत लोगों के अनुसार ‘जमीनी स्तर पर काम करने वाले गुमनाम समाज-शिल्पियों’ से संबंधित जानकारी उनके लिए काफी रोचक रही।

किनसे ज्यादा बातचीत

अध्ययन में यह भी जानने का प्रयास किया गया कि ‘मन की बात’ में चर्चा किए गए विषयों के बारे में लोग किनसे ज्यादा बातचीत करते हैं। 32 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपने परिवार के सदस्यों से इस बारे में अपने विचार साझा करते हैं। वहीं 29 प्रतिशत लोगों के अनुसार वे अपने दोस्तों और साथियों के साथ इस विषय पर बातचीत करते हैं।

12 प्रतिशत लोग रेडियो पर सुनते हैं

सर्वेक्षण के दौरान एक रोचक तथ्य यह भी सामने आया कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम सुनने के लिए जहां 12 प्रतिशत लोग रेडियो और 15 प्रतिशत लोग टेलीविजन का प्रयोग करते हैं। वहीं 37 प्रतिशत लोग ‘इंटरनेट बेस्ड प्लेटफॉर्म’ पर इस कार्यक्रम को सुनना पसंद करते हैं।।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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