कश्मीर में ‘टारगेट किलिंग’ के पीछे किसका हाथ ?
मोदी- अमित शाह टारगेट किलिंग क्यों नहीं रोक पा रहे ?
कश्मीर में बाहर से आए लोगों की लगातार हत्याओं से हर तरफ हड़कंप मचा हुआ है। आतंकियों की टारगेट किलिंग से जहां कश्मीरी पंडितों में भारी नाराजगी है, वहीं केन्द्र सरकार पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। लोगों ने अब ये पूछना शुरू कर दिया है कि आखिर मोदी-अमित शाह की जोड़ी कश्मीर में लगातार हो रही हत्याओं को क्यों नहीं रोक पा रहे हैं ?
इस बीच ‘पिस्टल किलिंग’ को लेकर पाकिस्तान की बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अपनी सरकार की खाल बचाने के लिए कश्मीर में नए नामों वाले कई आतंकी संगठन खड़े कर दिए हैं। रविवार को बिहार के जिन दो श्रमिकों को मारा गया है, उसकी जिम्मेदारी यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट-जम्मू एंड कश्मीर ने ली है।
श्रीनगर में आतंकियों ने सात अक्तूबर को प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और शिक्षक दीप चंद की हत्या की थी। पहले इन शिक्षकों की हत्या की जिम्मेदारी नए आतंकी संगठन ‘गिलानी फोर्स’ ने ली थी। हालांकि उससे पहले आतंकी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ की नई शाखा ‘द रजिस्टेंस फ्रंट ने इन हत्याओं की जिम्मेदारी ली थी। जम्मू कश्मीर पुलिस की इंटेल शाखा से जुड़े एक विश्वस्त सूत्र का कहना है कि पाकिस्तान ने अब अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचने के लिए नया गेम प्लान तैयार किया है। पाकिस्तान के आतंकी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ और ‘जैश-ए-मुहम्मद’, के बीच से नए सदस्यों को मिलाकर कश्मीर में छोटे-छोटे समूह खड़े किए गए हैं। ‘पिस्टल किलिंग’ का टारगेट इन्हीं समूह से जुड़े आतंकियों को सौंपा गया है। ज़ाहिर है इन आतंकी संगठनों की कमान पाकिस्तान की आईएसआई के पास है। अब लोगों को इंतजार है केन्द्र सरकार किस तरह आईएसआई की साजिश नाकाम करता है?