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राष्ट्रीय कवि पंचायत में जुटी कवियों की महफ़िल

नोएडा के बरौला स्थित साहित्य सदन के काव्य भवन में आयोजित था कार्यक्रम

नोएडा। साहित्य वेलफेयर कल्चरल एंड स्पोर्ट्स फेडरेशन और भारतीय एकता सद्भावना मिशन के संयुक्त तत्वाधान में नोएडा के बरौला स्थित साहित्य सदन के काव्य भवन में राष्ट्रीय कवि पंचायत का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए डेढ़ दर्जन से अधिक कवि, कवियत्री और शायरों ने शिरकत की। एक मंच पर इतने कलमकारों ने देर रात तक अपनी रचनाओं से खूब वाहवाही बटोरी। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि बाबा कानपुरी ने की। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि जाने-माने गीतकार प्रमोद मिश्र निर्मल और विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राजपाल सिंह यादव और समाजवादी पार्टी लोहियावाहिनी के राष्ट्रीय सचिव चौधरी सुंदर भाटी मंचासीन रहे।

कार्यक्रम के आयोजक वरिष्ठ कवि व फेडरेशन के चैयरमैन पंडित साहित्य कुमार चंचल ने सभी अतिथियों व कवियों का फूल माला से स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन कवि अभिमन्यु पाण्डेय आदित्य ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत कवियत्री शालिनी मिश्रा ने सरस्वती वंदना से की। इसके बाद बिसाहड़ा से आए युवा कवि पंकज राणा व पंकज शर्मा पीयूष ने अपने मुक्तक सुना सदन की वाहवाही बटोरी। इसी क्रम में सतीश दीक्षित ने ओज की कविता पढ़ी। शायर ओमपाल सिंह खलिश ने ग़ज़ल सुबह होती है शाम होती है,तो ग़ज़लकार ताबिश खैराबादी ने कभी हंसाते, कभी रुलाते सुनकर तालियां बटोरीं। इसके बाद शायर हाशिम देहलवी और मनोज मिश्र की ग़ज़ल को काफी सराहा गया। कवियत्रियों में मीनाक्षी, बबीता राणा व शालिनी मिश्रा के गीतों ने माहौल को प्रेम और श्रृंगार रस से सराबोर कर दिया। गीतकार प्रमोद मिश्रा निर्मल और जे पी रावत के गीत ने सदन को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं साहित्य चंचल और अभिमन्यु पाण्डेय आदित्य ने अपने काव्यपाठ से देश के मौजूदा हालातों पर व्यंग दिया तो विजय चंचल व अटल मुरादाबादी के ओज भरे काव्यपाठ पर सदन झूम उठा। कार्यक्रम के अंत में अध्यक्षता कर रहे बाबा कानपुरी ने अपने मुक्तक सुनाए और माहौल आनंदमय कर दिया।

इस दौरान श्रोताओं में दिल्ली एनसीआर के तमाम सुधि श्रोताओं ने काव्य रस का आनंद लिया।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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