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उद्योग जगत के ‘महानायक’ और ‘देश के रतन’ टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन, देश शोक में डूबा

नई दिल्ली (एजेंसी) : प्रसिद्ध उद्योगपति एवं टाटा संस के मानद अध्यक्ष पद्म विभूषण रतन जमशेदजी टाटा का देर रात को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। तीन दिन पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, परंतु इस सूचना को अफवाह बताकर खारिज कर दिया गया था। टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन ने बयान जारी कर कहा कि हम श्री टाटा को बहुत ही दुख के साथ विदाई दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, होम मिनिस्टर अमित शाह के अलावा अनेक नेताओँ और उद्योगपतियों ने रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
रतन टाटा ने नई ऊंचाइयों को छुआ
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उनके अतुल्य योगदान ने न केवल टाटा समूह को बल्कि हमारे राष्ट्र के ताने-बाने को भी एक आकार दिया। टाटा समूह के अध्यक्ष एन चंद्रशेखर ने कहा कि मेरे लिए वह एक गुरु, मार्गदर्शक और उससे बढ़कर एक मित्र थे। उन्होंने हमेशा राष्ट्रीय हितों और राष्ट्रप्रेम को जीवन में महत्व दिया। उत्कृष्टता, अखंडता और नवाचार के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने अपने नैतिक मानदंडों के प्रति हमेशा सच्चे रहते हुए अपने वैश्विक पदचिन्हों का विस्तार किया। परोपकार की भावन और समाज के विकासके प्रति टाटा के समर्पण ने लाखों लोगों के जीवन को छुआ है।
परोपकारी और सच्चे समाजसेवक थे टाटा
रतन टाटा न सिर्फ उद्योगपति थे बल्कि एक समाज सेवक और परोपकारी के तौर पर प्रसिद्ध थे। उनकी 21 वर्षों की अध्यक्षता में टाटा संस का राजस्व 40 गुना और लाभ  50 गुना बढ़ा। ब्रिटिश शासन के दौरान 28 दिसंबर 1937 को एक पारसी परिवार में जन्मे रतन एन टाटा को टाटा परिवार ने गोद लिया था। वर्ष 1948 में जब टाटा 10 वर्ष के थे, उनके माता-पिता अलग हो गए थे। उनका पालन पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया था। उन्होंने मुंबई के कैथेड्रेल और ज़ॉन कॉनन स्कूल, शिमला में बिश्प कॉटन स्कूल और न्यूयार्क शहर में रिवरडेल कंट्री स्कूल में अध्यय़न किया था। जहां से उन्होंने 1955 में स्नातक  की डिग्री प्राप्त की। रतन टाटा ने कॉर्नेल विश्व विध्यालय में दाखिला लिया और 1959 में वास्तुकला में स्नातक की डिग्री ली। यहीं उन्होंने अल्फा सिग्मा फी बिरादरी की सदस्यता ग्रहण की।
राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा-श्री टाटा एक दूरदर्शी बिजनेल लीडर, एक दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया। उन्होंने एक पर रतन टाटा के साथ एक तस्वीर भी शेयर की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स प्लेटफार्म पर शोक संदेश में कहा कि रतन टाटा के निधन से मुझे गहरा दुख पहुंचा है। वह भारतीय उद्योगजगत के महानायक थे। जिन्हें अर्थव्यवस्था, व्यापार, उद्योग में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए जाना जाता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और उन्हे उद्योग जगत का महानायक बताया है।
छोटे कर्मचारियों को भी  अपना परिवार मानते थे।
रतन टाटा की  कहानियां सुनकर देश की पीढ़ियां बड़ी हुईं, देश के उद्यमी जिनसे प्रेरित होते रहे, जीवन में एक मुलाकात का सपना देखते रहे। खेल-पर्वतारोहण से स्टार्टअप तक जिन्होंने कई नौजवानों की जिंदगी संवारी। उद्योग-कारोबार में जो जोखिम लेने और नए प्रयोगों से कभी पीछे न हटे। नैनो से लेकर जेएलआर तक, जिन पहलों ने भारतीय उद्यमियों के प्रति दुनिया का नजरिया बदल डाला। अपनी कमाई को जिन्होंने समाज का समझा और परोपकार पर खर्च किया। ऐसी शख्सियत जो खुद को व्यापारी नहीं उद्योगपति कहते थे। आज, अहसास हुआ कि देश के ऐसे महारत्न को कभी टा-टा नहीं कह सकते।

 

 

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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