किसानों से जेल में मिले वकील, बोले-जेल में बंद किसानों पर अत्याचार की बातें गलत, तन्हाई सेल में रखे गए हैं 5 किसान नेता
ग्रेटर नोएडा (FBNews) : राजनीतिक स्तर पर जारी प्रयासों के बीच जनपद दीवानी और फौजदारी बार एसोसिएशन भी सक्रिय हो गई। किसानों की रिहाई के लिए शुक्रवार को वरिष्ठ अधिवक्ताओं का डेलीगेशन लुक्सर जेल में जाकर किसानों से मिला। मुलाकात के बाद डेलीगेशन ने कहा कि पांच किसान नेताओं को जेल में तन्हाई (एकांत) में रखा गया, जिन्हें शीघ्र ही सामान्य किसानों के बीच भेज दिया जाएगा। वकीलों ने किसानों पर जेल में किसी भी तरह के अत्याचार से इन्कार करते हुए कहा कि जिला प्रशासन एवं पुलिस ने किसानों की शीघ्र रिहाई का भी भरोसा दिलाया है और इस संबंध में कानूनी स्तर पर भी कदम उठाए जा रहे हैं।
किसानों को तन्हाई में रखा जाना दमनकारी कदम
जनपद दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश भाटी देवटा, सचिव धीरेंद्र भाटी साकीपुर, श्याम सिंह भाटी, नरेंद्र कुमार सहित 10 अधिवक्ताओँ के डेलीगेशन डीसीपी ग्रेटर नोएडा साद मियां खां की पहल पर लुक्सर जेल में बंद किसानों से मिलने पहुंचा। जेल में फिलहाल 129 किसान बंद हैं, जिनमें जेल प्रशासन ने पांच बड़े एवं प्रमुख किसान नेताओँ को तन्हाई(एकांत बैरक) में रखा हुआ है। किसान नेता सोरन प्रधान जी,रुपेश वर्मा,सुखवीर खलीफा,सुनील फ़ौजी,विजेन्द्र आर्य से मिला और बातचीत की। सचिव धीरेंद्र भाटी ने न्यूज पोर्टल ‘फेडरल भारत’ से कहा कि पांच किसान नेताओं को तन्हाई में रखा जाना, जेल एवं जिला प्रशासन की दमनकारी और विभाजनकारी नीतियों का परिणाम है। हालांकि उन्होंने किसानों पर जेल के अंतर किसी भी तरह के दमन अथवा उत्पीड़न किए जाने से भी इन्कार किया। श्री भाटी ने कहा कि किसान नेताओं ने डेलीगेशन को अवगत कराया कि उनके साथ जेल में किसी भी तरह का शारीरिक उत्पीड़न नहीं किया गया है
डीएम से मिला वकीलों का डेलीगेशन
बार एसोशिएशन का डेलीगेशन जेल में किसानों से मुलाकात के बाद जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा से मिला और जेल में किसानों को तन्हाई में रखे जाने पर आपत्ति दर्ज कराई। इस पर डीएम ने आश्वासन दिया कि तन्हाई में रखे गए पांचों किसान नेताओं तो अन्य सामान्य बंदियों के साथ ही शिफ्ट किया जाएगा।
रिहाई के लिए कानूनी प्रक्रिया जारी
उन्होंने कहा कि जेल में बंद किसानों की सकुशल और शीघ्र रिहाई के लिए कानूनी स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि कानूनी प्रक्रिया पूरी होते ही जेल में बंद सभी किसानों को शीघ्र ही रिहा कर दिया जाएगा। कुछ कानूनी कारणों से किसानों की रिहाई में विलंब हो रहा है। उल्लेखनीय है कि जिला बार एसोसिएशन ने 10 दिसंबर को कार्यकारिणी की बैठक में प्रस्ताव पारित करके किसानों और कुछ अधिवक्ताओं की गिरफ्तारी पर एतराज जताते हुए सभी की अविलंब रिहाई की मांग की थी। इस बैठक में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें गौतमबुद्धनगर के अधिवक्ताओं ने किसानों के प्रति प्राधिकरण की दमनकारी नीतियों का विरोध किया।
नहीं मिलने दिया कांग्रेस व सपा प्रतिनिधिमंडल को
यहां यह भी बता दें कि जेल में बंद किसानों से मुलाकात के लिए कल यानी 12 दिसंबर को समाजवादी पार्टी के तीन सांसदों सहित 16 वरिष्ठ नेताओं का प्रतिनिधिमंडल मुलाकात के लिए ग्रेटर नोएडा पहुंचा था। लेकिन पुलिस प्रशासन ने उनकी जेल में मुलाकात नहीं होने दी। यह प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी मनीष वर्मा और एसीपी शिव हरि मीणा से मिलकर ही महज खानापूर्ति करके वापस लौट गया। इसमें मुजफ्फरनगर के सांसद हरेंद्र मलिक भी थी। इससे पहले पुलिस प्रशासन ने सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को भी मिलने से रोक दिया था। वकीलों के डेलीगेशन को मुलाकात कराने के पीछे पुलिस प्रशासन की मंशा मामले को किसी भी तरह से ठंडा करने की है। पुलिस प्रशासन किसी भी तरह किसानों की रिहाई के लिए किसी राजनीतिक दल को श्रेय न मिल सके,इसे लेकर प्रयास में है। वकीलों को इजाजत देनेके पीछे यही मंशा प्रतीत हो रही है।