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सिंदूर खेला के साथ  गुलशन बेलिना में नौ दिवसीय शारदीय नवरात्र का समापन, विदाई पर महिलाओं ने खेली सिंदूर से होली

ग्रेटर नोएडा (फेडरल भारत न्यूज) : ग्रेटर नोएडा की गुलशन बेलिना सोसायटी में शारदीय नवरात्र का उत्सव धूमधाम के साथ पारंपरिक और धार्मिक भाव से मनाया गया और मां दुर्गा की पूजा की। 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना के बाद दशमी पर दशहरे के साथ इस पर्व का समापन होता है। अंतिम दिन दशहरे पर दुर्गा पूजा के पश्चात विवाहित महिलाएं विदाई पर सिंदूर की होली खेलती हैं, जिसे सिंदूर खेला कहा जाता है। मुख्यत यह बंगाल का पारंपरिक उत्सव है।
शारदीय नवरात्र पर रही धूमधाम
गुलशन बेलिना सोसायटी में शारदीय नवरात्र और दुर्गा पूजा का आयोजन बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया गया। नौ दिनों तक चले इस कार्यक्रम में सोसायटी के सदस्यों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की। दुर्गा अष्टमी और नवमी के दिन विशेष हवन और भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सोसायटी के सभी परिवारों ने मिलकर भाग लिया और प्रसाद वितरण किया।
समापन पर पारंपरिक सिंदूर खेला
कार्यक्रम के समापन के अवसर पर, परंपरागत रूप से महिलाओं द्वारा सिंदूर खेला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएं पारंपरिक साड़ियों में सजकर एकत्रित हुईं और एक-दूसरे को सिंदूर और गुलाल लगाकर मां दुर्गा को विदाई दी। इस दौरान उत्सव का माहौल हर्ष,  गीत-संगीत और मस्ती से भरा रहा। महिलाओं ने मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने सिंदूर खेलते हुए आपसी सद्भावना और उत्सव का आनंद लिया।
आस्था और परंपरा को मिला बढ़ावा
गुलशन बेलीना निवासी अविनाश सिंह
ने बताया कि इस धार्मिक आयोजन से न केवल आस्था और परंपरा को बढ़ावा मिला, बल्कि सोसायटी के लोगों के बीच एकता और भाईचारे का भी संदेश प्रसारित हुआ। मां दुर्गा के विसर्जन के साथ ही सभी ने उनकी पुनः आगमन की कामना करते हुए अगले वर्ष इस उत्सव को और बड़े स्तर पर मनाने का संकल्प लिया।
कौन लेता सिंदूर खेला में हिस्सा
सिंदूर खेला बंगाली हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। परंपरागत रूप से यह रस्म विवाहित महिलाओं के लिए है, जो इस पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाती हैं। दरअसल, ऐसा माना जाता है कि यह रस्म विवाहित महिलाओं के लिए सौभाग्य लाता है और उनके पतियों की उम्र भी बढ़ाता है। दुर्गा पूजा भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे बंगाल में धूमधाम से मनाया जाता है और विजयादशमी इस उत्सव के अंत का प्रतीक होता है। यह दिन शादीशुदा महिलाओं के लिए बेहद खास होता है और वह साल भर इसका इंतजार करती हैं।

 

 

 

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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