जीवन का रहस्य: प्रेम, करुणा और मुक्ति !

नोएडा: प्रेम जीवन की सबसे मौलिक भावना है। यह हमें दूसरों से जोड़ता है, हमारी संवेदनाओं को गहराई देता है, और भीतर एक आत्मीयता पैदा करता है। प्रेम के बिना जीवन शुष्क और अर्थहीन प्रतीत होता है।
करुणा: प्रेम का परिपक्व रूप
जब प्रेम न केवल अपने तक सीमित रहता है, बल्कि सभी प्राणियों के प्रति समान भाव रखता है, तब वह करुणा बन जाता है। करुणा वह प्रेम है जिसमें स्वार्थ नहीं होता, केवल देने की भावना होती है। यह अहंकार को पिघलाकर सेवा, सहानुभूति और उदारता में बदल देता है।
मुक्ति की ओर पहला कदम
जब प्रेम करुणा में बदलता है, तब व्यक्ति स्वयं को दूसरों के दुःख-दर्द से जोड़ने लगता है। यह जुड़ाव धीरे-धीरे अहंकार का क्षय करता है, और आत्मा को सीमाओं से मुक्त करता है। यही प्रक्रिया अंततः मोक्ष या मुक्ति की ओर ले जाती है — जहाँ प्रेम, करुणा और शांति एकाकार हो जाते हैं।
निष्कर्ष: प्रेम से करुणा और फिर मुक्ति
जीवन का गहरा अर्थ प्रेम में है, पर प्रेम को करुणा में बदलना ही असली साधना है। जब हम निःस्वार्थ प्रेम करते हैं और हर जीव के प्रति करुणा का भाव रखते हैं, तभी हम सच्ची मुक्ति की ओर बढ़ते हैं। यही जीवन का सच्चा दर्शन है।