14 साल के वैभव सूर्यवंशी की सफलता के पीछे छिपी कहानी – पिता ने खोले राज

नोएडा: महज 5 साल की उम्र में वैभव सूर्यवंशी ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था। शुरुआत घर के आंगन से हुई, जहां उनके पिता संजीव सूर्यवंशी ने खास तौर पर नेट्स लगवाए ताकि बेटा अभ्यास कर सके।
क्रिकेट का जुनून इस कदर था कि पिता ने खुद का बिजनेस बंद कर सिर्फ बेटे की तैयारी पर ध्यान देना शुरू कर दिया।
समस्तीपुर से पटना तक का सफर
दो साल घर पर प्रैक्टिस के बाद वैभव को समस्तीपुर की बृजेश झा क्रिकेट अकादमी में दाखिल करवाया गया। वहां दो साल की ट्रेनिंग के बाद उनका टैलेंट और निखरा।
इसके बाद वैभव को पटना के जेनएक्स क्रिकेट एकेडमी भेजा गया, जहां कोच मनीष ओझा और सहायक कोच राबिन के मार्गदर्शन में उन्होंने क्रिकेट को गहराई से सीखा। पिता हर हफ्ते तीन दिन उन्हें पटना लेकर जाते थे – यह सिलसिला सालों चला।
अंडर-16 में दोहरा शतक, अंडर-19 में धमाल
अंडर-16 क्रिकेट में वैभव ने शानदार दोहरा शतक लगाकर सबका ध्यान खींचा। उनके प्रदर्शन से प्रभावित होकर बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश तिवारी ने उन्हें अंडर-19 टीम में मौका दिया। इसके बाद वैभव ने बिहार के सभी फॉर्मेट में शानदार प्रदर्शन किया और लगातार रन बनाए।
पर्दे के पीछे की असली ताकत – BCA और राकेश तिवारी
वैभव के पिता का मानना है कि उनकी सफलता में बिहार क्रिकेट संघ और विशेष रूप से अध्यक्ष राकेश तिवारी का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि अगर उम्र की वजह से रोक दिया गया होता तो वैभव की प्रतिभा कभी सामने नहीं आती। BCA ने उम्र नहीं, टैलेंट देखा और वैभव ने उस भरोसे को निभाया।
बिहार से बाहर जाने की अब जरूरत नहीं
एक समय था जब बिहार के खिलाड़ियों को बाहर जाकर खेलना पड़ता था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। आज राज्य में ही बड़े-बड़े टूर्नामेंट हो रहे हैं। वैभव के पिता को इस बात की खुशी है कि अब खिलाड़ियों को बिहार में ही भरपूर अवसर मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज कोई खिलाड़ी ये नहीं कह सकता कि बिहार में मौके नहीं मिलते।
गर्व का क्षण – एक पिता और बिहारी होने का
संजीव सूर्यवंशी ने भावुक होकर कहा, “पिता होने के नाते मुझे बेटे पर गर्व है और बिहारी होने के नाते भी गर्व है कि अब हमारा राज्य क्रिकेट के नक्शे पर चमक रहा है।”