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अयोध्याउत्तर प्रदेश

विचारः जनसंख्या नियंत्रण कानून पर मोहन भागवत के समर्थन में आए संत

आरएसएस मुखिया ने कहा था, `जितनी अधिक जनसंख्या होगी उतना ही अधिक बोझ होगा’

अयोध्या। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत के जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने के बयान पर अयोध्या के संत समाज ने उनका समर्थन किया है। मोहन भागवत ने बीते दिनों ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुएए कहा था कि जितनी अधिक जनसंख्या होगी उतना ही अधिक बोझ होगा। इस पर लोगों को विचार करना चाहिए। मोहन भागवत के इस बयान पर अयोध्या के संत समाज ने समर्थन किया। संतों ने कहा की जनसंख्या नियंत्रण कानून देश में लाने की बहुत आवश्यकता है।

तपस्वी छावनी

तपस्वी छावनी के महंत परमहंसाचार्य ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने जो कहा है यह राष्ट्र हित में है। क्योंकि जनसंख्या वृद्धि जिस तरह से हो रही है अगर इस पर नियंत्रण नहीं हुआ तो आने वाला जो 50 साल है उसके बाद की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। लोग भुखमरी के शिकार हो जाएंगे। जीव-जंतु की बात दूर रही, मनुष्य मनुष्य को खा जाएगा इसलिए आवश्यक है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कॉमन सिविल कोर्ट को भी लागू करना चाहिए। यह राष्ट्र हित में है। सभी को समर्थन करना चाहिए। जो भी देश में रह रहा है उसका कर्तव्य है कि राष्ट्र हित में कोई बात हो तो सभी को एकजुट होकर समर्थन करना चाहिए। साधु संत सभी लोग मोहन भागवत के बयान से सहमत हैं।

गंभीरता से जनसंख्या नियंत्रण कानून को

हरिधाम पीठ के पीठाधीश्वर राम दिनेशाचार्य ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून को लाने की आवश्यकता बहुत ज्यादा है। जिस तरह से मोहन भागवत ने कहा है उनकी वह चिंता जायज है। कोरोना काल में लोगों को बेड नहीं उपलब्ध हो पा रहा था। अशिक्षा, बेरोजगारी आदि इस तरह की जितनी समस्याएं हैं यह जनसंख्या से बढ़ती जा रही है। एक सशक्त राष्ट्र की परिकल्पना अगर करनी है तो सबको स्वास्थ्य, शिक्षा मुहैया कराया जाना चाहिए। संपूर्ण रूप से मानव खुली हवा में सांस ले सके तो उसके लिए जनसंख्या नियंत्रण बहुत ही आवश्यक है। केंद्र सरकार को मोहन भागवत के इस बयान को बहुत गंभीरता पूर्वक लेना चाहिए और इस कानून को पारित करना चाहिए।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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