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वक्फ कानून की तीन कमजोर कड़ियां… क्या खत्म होगा विशेष दर्जा?

नोएडा : वक्फ कानून (Waqf Act) को चुनौती देने वाली 70 से अधिक याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। लगभग दो घंटे तक चली इस बहस में देश के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी समेत कई याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने अपनी दलीलें पेश कीं। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मोर्चा संभाला और कानून का बचाव किया।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने वक्फ कानून को संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ बताया और इसकी वैधता पर सवाल उठाए। उनका तर्क था कि वक्फ अधिनियम में कुछ प्रावधान धार्मिक आधार पर पक्षपातपूर्ण हैं और संपत्ति संबंधी अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

दूसरी ओर, सरकार ने वक्फ कानून को भारतीय संविधान के अनुरूप बताया और कहा कि यह सिर्फ धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन के लिए बनाया गया एक प्रशासनिक ढांचा है, जिसका उद्देश्य संपत्तियों की रक्षा और उनके उचित उपयोग को सुनिश्चित करना है।

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, केंद्र सरकार से पूछे तीखे सवाल

वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार से तीखे और अहम सवाल पूछे, जिससे सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं। कोर्ट की टिप्पणियों से साफ है कि वह इस कानून के कई प्रावधानों को लेकर गंभीर चिंताओं पर विचार कर रहा है।

 तीन प्रमुख मुद्दे जिन पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई आपत्ति:

  1. वक्फ बाय यूजर का प्रावधान:
    कोर्ट ने सवाल उठाया कि किसी संपत्ति को केवल लंबे समय तक उपयोग (यूज़) के आधार पर वक्फ संपत्ति कैसे घोषित किया जा सकता है? इससे निजी संपत्ति के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।

  2. सरकारी जमीन पर दावा:
    सुप्रीम कोर्ट ने उस प्रावधान पर चिंता जताई जिसमें कहा गया है कि अगर किसी संपत्ति पर सरकार अपना दावा जताती है, तो उसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने पूछा कि यह प्रावधान किस आधार पर तय किया गया और इससे संभावित विवाद कैसे सुलझाए जाएंगे?

  3. वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की भूमिका:
    अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की प्रधानता क्यों और कैसे तय की जा रही है। क्या यह धार्मिक संस्था के प्रबंधन में हस्तक्षेप नहीं माना जाएगा?

Divya Gupta

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