उत्तर प्रदेशलखनऊ

धार्मिक ताल्लुकात के हम पाबंदः मौलाना यासूब अब्बास 

मुसलमान देश के कानून को मानता है, उस पर अमल भी करते हैं

लखनऊ। ऑल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक यहां पवित्र धार्मिक ग्रंथ क़ुरान की तिलावत से शुरू हुई। बैठक अध्यक्षता मौलाना सैयद साएम मेंहदी ने की। बैठक में शिया धर्म गुरु मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि मीडिया के ज़रिए ऐसी मिली सूचना मिली है कि देश में यूनिफार्म सिविल कोड बन रहा है। इस सिलसिले में ऑल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड का प्रतिनिधिमण्डल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भेंट करेगा।

उन्होंने कहा कि मुसलमान देश के कानून को मानते हैं और उस पर अमल भी करते हैं। जिनका ताल्लुक हमारे धार्मिक मामलात से है उनके हम पाबन्द हैं। संविधान ने हमको उसकी इजाज़त भी है दी। संविधान में कोई बदलाव देश के लिए मुनासिब नहीं होगा।

धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि मुल्क के कानून और अदालत पर पूरा भरोसा है।

धार्मिक स्थलों की जो हैसियत थी वह उसकी हैसियत बरकरार रहेगी और उसके साथ किसी भी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। देशवासियों को वर्शिप एक्ट 1991 को मानना चाहिए।

हिजाब के मसले पर मौलाना ने कहा कि इस्लाम औरत को इज्जत की निगाह से देखता। हिजाब या पर्दा केवल इस्लाम धर्म में ही नहीं है बल्कि हिन्दू, सिख व इसाई धर्म में भी है। स्कूल या कॉलेज में ड्रेस यूनिफार्म है तो मुसलमान बच्चियां यूनिफार्म को अपनाते हुए सर से हिजाब करती हैं तो इसमें कोई परेशानी नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हुसैनाबाद ट्रस्ट शियों का सबसे बड़ा ट्रस्ट है। बड़ा इमाम बाड़ा,  छोटा इमामबाडा, भूलभूलैया हुसैनाबाद ट्रस्ट के अर्न्तगत आती हैं। ट्रस्ट की संपत्तियां तबाह और बर्बाद हो रही हैं। ट्रस्ट में कोई कमेटी नहीं है इसलिए सरकार हुसैनाबाद ट्रस्ट में स्कीम ऑफ मैनेजमेन्ट कमेटी को बनाए जाने चाहिए ताकि हुसैनाबाद ट्रस्ट को सुरक्षा मिल सके।

उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि लखनऊ की जरदोजी का काम दुनियां भर में पसन्द किया जाता है इसलिए उनकी समस्याओं पर खास ध्यान दें और जरदोज़ी को एक उद्योग घोषित करें।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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