कांवड़ यात्रा 2022 : धूप हो, बारिश हो या आ जाए तूफान नहीं टूटता कांवड़ियों का हौसला
जानिये, कितने प्रकार की होती है कांवड़ , क्या क्या होते हैं नियम ?
नोएडा : कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है, हर कोई महादेव की भक्ति में लीन है, कांवड़ यात्रा सनातन धर्म में इसका महत्व अलौकिक है क्या बच्चा, क्या बूढ़ा, क्या जवान, हर कोई हरिद्वार से जल लाकर शिव को अर्पित करना चाहता है | ऐसा नहीं है कि सभी कांवड़िए हरिद्वार से ही जल लाते है, कुछ कांवड़िए गोमुख से भी जल लाते हैं।
चलिए जानते है कांवड़ कितने प्रकार की होती है ?
चुनौती भरा है डाक कांवड़ लाना
डाक कांवड़ लाने का एक निश्चित समय तय होता है और उनते ही समय में जल लाकर शिवालय में चढ़ाना होता है डाक कांवड़ में कई युवाओं की टीम होती है जो मिलकर वाहनों के सहारे पैदल डाक कांवड़ लाती है इसका जल उठाने से पहले संकल्प लिया जाता है।
झांकी वाली कांवड़ में झूमते दिखाई देते हैं भोले के दीवाने
इस कांवड़ में भोले के भक्त झांकी निकालते हैं जिमसे बच्चों को शंकर और पार्वती के रूप में तैयार किया जाता है इसी के साथ झांकी को अच्छे से फूल मालाओं से सजाकर निकाला जाता है ये 100 किलोमीटर से 250 की दूरी तय करती है।
दंडवत कांवड़ यात्रा
ये यात्रा कोई खास मनोकामना पूर्ण होने पर की जाती है इसमें कांवड़िए दंडवत करते हुए आते है और शिवालय पर जल चढ़ाते है ये यात्रा तीन से 15 किलोमीटर तक की हो सकती है।
बड़ी मुश्किल है खड़ी कांवड़ लाना
इसमे खास ये होता है कि जल उठाने से लेकर अभिषेक तक इसे जमीन पर नहीं रख सकते आमतौर पर इसे जोड़े में लाया जाता है दो लोग मिलकर इसे लाते हैं। एक कांवड़िया आराम करता है तो दूसरा उसे लेकर खड़ा रहता है क्योंकि अभिषेक से पहले इस कंधे से नहीं उतारा जाता।