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उत्तर प्रदेशगौतम बुद्ध नगर

वे कौन से वास्तु दोष हैं जिसके कारण दांपत्य जीवन कल्याण हो जाता है

दांपत्य जीवन के कलहपूर्ण होने के ये वास्तु दोष हैं जिम्मेदार

ज्योतिषाचार्य और वास्तुशास्त्री अनुभव शर्मा ने उन वास्तु दोषों को बताएं हैं जिन्हें दूर कर दांपत्य जीवन को सुखी बनाया जा सकता है।

  1. मकान के वास्तु में ब्रह्म स्थान खुला न होने, ऊंचाई कम होने, भारी निर्माण एवं अस्वच्छता कलह वह तनाव का कारण बनता है।
  2. नेतृत्व कोण नीचा होना, कटा, बढा होना तथा अग्नि तत्व में वास होने से दांपत्य पक्ष में तनाव रहता है।
  3. ईशान कोण कटा, बढा होने से आर्थिक पक्ष से दांपत्य जीवन में तनाव बढ़ता है।
  4. गर्भवती महिला के लिए दक्षिण पूर्व की दिशा अच्छी नहीं होती है। यहां नींद में कमी आती है तथा गर्भपात का भय बना रहता है जिससे दांपत्य जीवन में तनाव बनता है।
  5. नवविवाहित दंपत्ति के कमरे में दर्पण का होना हानिकारक होता है। ड्रेसिंग टेबल की आवश्यकता हो तो उसे उत्तरी पूर्वी दीवार पर इस तरह से रखें कि सोते समय अपना प्रतिबिंब या शरीर का कोई हिस्सा दिखाई न पड़े अन्यथा वह पीड़ित रहेगा।
  6. पूर्व दिशा में उत्तर में टंकी रखने से पूर्व दिशा भारी व ऊंची हो जाएगी जिससे पुत्र संतति में कमी तथा महिला में बांझपन की शिकायत तनाव का कारण बनेगी।
  7. दक्षिण पूर्व में टंकी होने से आग्नेय कोण भारी हो जाता है जिससे गृह स्वामी ऋण ग्रस्त आगजनी की घटना व आसमयिक मृत्यु की संभावना बनती है।
  8. बेडरूम में पौधे कदापि न रखें।
  9. मनुष्य का सिर उत्तरायण पर पैर दक्षिणायन माना गया है। यदि सिर् उत्तर की ओर रखेंगे तो पृथ्वी क्षेत्र का उत्तरी ध्रुव मानव के उत्तर ध्रुव से घृणा कर चुंबकीय प्रभाव को अस्वीकार करेगा जिससे शरीर में रक्त संचार हेतु उचित और अनुकूल चुंबकीय क्षेत्र का लाभ नहीं मिल सकेगा। मस्तिष्क में तनाव वह शरीर में शांतिमय निद्रा की अवस्था प्राप्त नहीं होगी। सोते समय सिर दक्षिण दिशा में रखकर सोना लाभप्रद होगा। पश्चिम व पूर्व की ओर सिर रखकर सोने से भाग्य वृद्धि, मानसिक शांति तथा धार्मिक प्रवृत्ति में वृद्धि होगी।
  10. तिजोरी, कैश, धन आदि शयन कक्ष में हो।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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