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जब ये पेड़ देतें हैं हमें करोड़ो की ऑक्सीजन, तो फिर हम कहीं और क्यों जाएं

ज्यादा पेड़ लगाकर पूरी कर सकते हैं ऑक्सीजन की कमी ,बचा सकते हैं लोगों को मरने से

लखनऊ : कोरोना की दूसरी लहर ने देश को झकझोर कर रख दिया है। आम जनता से लेकर वीआईपी तक हर आदमी इस महामारी की प्रताड़ना को झेल रहा है। देश की मेडिकल सुविधाओं को एक बार फिर कटघरे में खड़ा होना पड़ा। सरकार भले ही जनता को इस बात को लेकर आस्वस्त करती रही कि सब कुछ कंट्रोल में है। कही भी किसी चीज़ की कमी नही है ।लेकिन हालात कुछ अलग ही देखने को मिल रहे हैं। ।कहीं पर अस्पताल तक मरीजों को ले जाने के लिए एम्बुलेंस की समस्या तो कहीं पर इलाज न मिलने की समस्या।कहीं जांच को लेकर कमियां सामने आई तो कहीं वैक्सीन को लेकर ऐसे में लोगो को निराशा ही हाँथ लगती है। लेकिन कोरोना की इस दूसरी लहर में जिस चीज़ की वज़ह से लोगों को सबसे ज्यादा तक़लीफ़ हुई है वो है “ऑक्सीजन“। जी हाँ भले ही हमारे देश मे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन होता हो लेकिन इस बार जब आम जनता को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी तो सरकार को इसके लिए दुनियां के और देशो से मदद लेनी पड़ी।

चारों तरफ बस कालाबाजारी का आलम
देश मे ऑक्सीजन को लेकर हालात तो कुछ ऐसे बने की लोगों को पूरे दिन लाइन में खड़े होना पड़ता है ,फिर भी निराशा ही हाथ लगती है। कालाबाज़ारी का तो खूब आलम देखने को मिल रहा है। किसी ने समाजसेवा के तौर पर निःशुक्ल ऑक्सीजन सिलेंडर बाटे तो किसी के लिए आपदा अवसर का रूप भी बनी। ब्लैक में तो लाखों में सिलेंडर बिके। वज़ह ये शायद यह भी थी कि देश इतनी बड़ी मुश्किल के लिए तैयार नही था। जिसकी वजह से लाखों लोगों को अपनी जान भी गवानी पड़ी।

 

हमारे वायुमण्डल में 78%कॉर्बन डाई आक्साइड और 21% ऑक्सीजन भी पाई जाती है।लेकिन जब किसी को सांस लेने में परेशानी होती है तो उसे क्रत्रिम तरीके से ऑक्सीजन दिया जाता है। जिससे उनके अंदर ऑक्सीजन की कमी न होने पाए। देश मे लगातार हो रही पेड़ो की कटाई भी ऑक्सीजन की कमी का मुख्य कारण है। वृक्षों की कटाई को कम करके साथ ही नए पेड़ो को लगाकर इस समस्या से निपटा भी जा सकता है।

हमारी प्रकृति में कुछ ऐसे पेड़ पाए जाते हैं ,जिनसे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त कर सकते हैं।

पीपल
पीपल का पेड़ भले ही इंसानों के खाने लायक कोई फल न देता हो, लेकिन अपनी ठंडी हवा और छाया के साथ साथ यह ऑक्सीजन के मामले में नंबर एक पर है। पीपल का एक पेड़ अपने पूरे जीवन मे करोड़ो रूपये की हमे ऑक्सीजन देता है। वैसे तो लगभग सभी पेड़ -पौधे दिन भर ऑक्सीजन देते है व रात के समय कॉर्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते है लेकिन पीपल के पेड़ के साथ ऐसा नही है ।पीपल का पेड़ अपने पूरे जीवन भर चौबीसों घंटे हमे ऑक्सीजन उपलब्ध कराता है ।पीपल के पेड़ की सनातन धर्म मे पूजा भी की जाती है।सनातन धर्म मे माना जाता है कि इस पेड़ में भगवान भी वास करते है ।

बरगद
बरगद के ही पेड़ को वट वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है । हमारे देश का यह राष्ट्रीय वृक्ष भी है । बरगद का पेड़ काफी ज़्यादा विशाल होता है साथ ही इसकी आयु भी काफी ज्यादा होती है ।बरगद के पेड़ को भी सनातन धर्म मे काफ़ी पवित्र माना जाता है ।साथ ही इसकी पूजा भी की जाती है ।बरगद का पेड़ में हमे काफी ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन देता है ।बरगद का पेड़ जितना बड़ा होता है उतनी ही ज्यादा मात्रा में ये ऑक्सीजन देता है।


नीम
नीम का पेड़ काफी ज्यादा गुणकारी होता है । इसकी पत्ती, छाल तथा इसमें लगने वाला फल मनुष्य के लिए काफ़ी लाभदायक है। इसका उपयोग कई तरह की दवाओं को बनाने में किया जाता है,जो मानव के कई रोगों में कारगर है ।नीम पर्यावरण को शुद्ध करता है। इसे ‘नेचुरल प्यूरीफायर’ कहा जाता है।एक्सपर्ट्स का मानना है कि नीम के पेड़ को लगाने से वातावरण की हवा में मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं।अपनी औषधीय गुणों के अलावा नीम का पेड़ हमे काफी ज्यादा मात्रा में ऑक्सिजन भी देता है।नीम की दांतून दांतो के लिए काफ़ी कारगर है। इसके फल से निकलने वाला तेल भी कई तरह की बीमारियों में काम आता है । गर्मियों के मौसम में लोग नीम की छांव में आराम भी करते है।नीम का पेड़ हमे ठंडी हवा भी देता है ।इसके अलावा नीम के ऊपर पाई जाने वाली गिलोय कई तरह की बीमारियों को दूर करती है।आयुर्वेद में नीम के साथ साथ गिलोय से भी कई तरह की दवाइयां तैयार की जाती है।

मधुमिता वर्मा

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