यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः इस श्लोक की अब नहीं है अहमियत ,महिलाओं को समझा जा रहा है “भोग की वस्तु”
आयशा के बाद अब बुलंदशहर की हीना खान न जाने और कितनी हिना जूझ होंगी घरेलू हिंसा को
लखनऊ :यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः । यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।।इस श्लोक का अर्थ हमारे देश का लगभग हर व्यक्ति जानता है। लेकिन वर्तमान में इस श्लोक की कोई अहमियत नहीं रह गई है। आदिकाल से ही स्त्रियों का सम्मान होता चला आ रहा है लेकिन आज उसे “भोग की वस्तु “समझकर आदमी अपने तरीके से इस्तेमाल कर रहा है। जो बेहद शर्मनाक और चिंताजनक बात है। देश में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। जिनमें कई महिलाएं उत्पीड़न से तंग आकर अपनी जान दे दी ।लेकिन कुछ ऐसे भी महिलाएं आई जो अपने हक के लिए लड़ाई लड़ी।
“बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ “को बार बार दोहराकर ,हिना कर रही इंसाफ की मांग
हाल ही में अहमदाबाद की आयशा ने ससुराल में उत्पीड़न से परेशान होकर साबरमती नदी में आत्महत्या की थी। आयशा ने एक हंसते हुए वीडियो बनाया था जिसमें उसने अपने साथ हुए घरेलू हिंसा की दर्दनाक कहानी बयां की थी। दहेज की मांग को लेकर लगातार आशा को ताने सुनाए जाते थे। पीड़िता एक मध्यम परिवार से ताल्लुक रखती थी इसलिए उसके पिता ज्यादा दहेज देने में असमर्थ थे। आयशा की उस दर्दनाक को जिसने भी सुना उसकी रूह कांप गई। हालांकि दोषियों को सजा दिलाई गई। ऐसे कई मामले सामने आते हैं ज्यादातर दोषियों को सजा होती है लेकिन इसके बावजूद भी अपराधियों के मन में किसी तरह का खौफ नहीं है। लगातार एक के बाद एक महिलाएं घरेलू व यौन हिंसा का शिकार हो रही हैं। अब एक और चौंकाने वाली घटना बुलंदशहर से आ रही है। जी हां बुलंदशहर की रहने वाली हिना खान का एक वीडियो सामने आया है जिसमें उसने रोते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सीएम योगी आदित्यनाथ से खुद को बचाने की गुहार लगाई है। इस वीडियो में बहुत यह कहते नजर आती है कि वह आशा की तरह मरना नहीं चाहती है। आगे वह बता रही है कि उसकी शादी हसनपुर से हुई है। उसके ससुराल में उसकी सास ननंद उसका पति दहेज के नाम पर उसे प्रताड़ित कर रहे हैं जिससे वह काफी परेशान है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को बार-बार कहकर खुद को हैवानो से बचाने की गुहार लगा रही है। उसने यह भी बताया कि वह कई बार पुलिस थाने जाकर की शिकायत दर्ज़ करा चुकी है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। वह इसलिए क्योंकि उसके पास रिश्वत देने के लिए पैसे नहीं है, और जो दे रहे हैं उनका काम किया जा रहा है। हिना बार-बार यही कह रही है कि उसे इंसाफ चाहिए।
गत लोकडाउन में बढ़ा घरेलू हिंसा का आंकड़ा
गत वर्ष लॉकडाउन के दौरान जब ज्यादातर लोग घरों में बंद थे, राष्ट्रीय महिला आयोग को मिलने वाली घरेलू हिंसा की शिकायतों की संख्या में 2019 के मुकाबले वृद्धि देखने को मिली।आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में आयोग को घरेलू हिंसा से संबंधित 2,960 शिकायतें मिली थीं जबकि 2020 में 5,297 शिकायतें प्राप्त हुईं और यह सिलसिला अब भी बरकरार है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में आयोग को महिलाओं के विरुद्ध किए गए अपराध की कुल 19,730 शिकायतें मिलीं, जबकि 2020 में यह संख्या 23,722 पर पहुंच गई।
जनवरी 2021 से 25 मार्च 2021 के बीच घरेलू हिंसा का कितना रहा आंकड़ा
लॉकडाउन खत्म होने के एक साल बाद भी आयोग को हर महीने महिलाओं के विरुद्ध अपराध की दो हजार से अधिक शिकायतें मिल रही हैं, जिनमें से लगभग एक चौथाई घरेलू हिंसा से संबंधित हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2021 से 25 मार्च 2021 के बीच महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की 1,463 शिकायतें प्राप्त हुईं। लॉकडाउन लगाए जाने के बाद आयोग को घरेलू हिंसा की इतनी शिकायतें मिलने लगी थीं कि आयोग ने इसके लिए समर्पित एक वॉट्सऐप नंबर की शुरुआत की थी। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, घरेलू हिंसा की शिकायतों की संख्या लॉकडाउन के महीनों के दौरान बढ़ती गई और जुलाई 2020 में 660 ऐसी शिकायतें प्राप्त हुईं।
आर्थिक असुरक्षा, तनाव में वृद्धि, वित्तीय समस्याएं ,घरेलू हिंसा हैं का कारण
एनसीडब्ल्यू के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल, 2020 से अब तक महिलाओं के खिलाफ अपराध की 25,886 शिकायतें मिली हैं, जिसमें घरेलू हिंसा की 5,865 शिकायतें शामिल हैं। इसके अलावा एनसीडब्ल्यू को 2020 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की 23,722 शिकायतें मिलीं, जिसमें एक चौथाई शिकायतें घरेलू हिंसा की हैं, जो पिछले छह सालों में सर्वाधिक है। आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा था कि आर्थिक असुरक्षा, तनाव में वृद्धि, वित्तीय समस्याएं और परिवार की ओर से मिलने वाले भावनात्मक समर्थन की कमी वर्ष 2020 में घरेलू हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी का कारण हो सकते हैं। महिला अधिकार कार्यकर्ता योगिता भयाना ‘पीपुल अगेंस्ट रेप इन इंडिया’ नामक संस्था की अध्यक्ष हैं।
एनएफएचएस ने किया एक बड़ा खुलासा
उन्होंने कहा, ‘इस तरह की घटनाओं में वृद्धि दर्ज हुई है क्योंकि महिलाओं में भी जागरूकता बढ़ रही है। वे इसकी रिपोर्टिंग कर रही हैं और इसके बारे में बात कर रही हैं। पहले वे अपनी शिकायतों को दबाती थीं.’बता दें कि बीते दिसंबर में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण ने एक रिपोर्ट जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि पांच राज्यों की 30 फीसदी से अधिक महिलाएं अपने पति द्वारा शारीरिक एवं यौन हिंसा की शिकार हुई हैं। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों में सबसे बुरा हाल कर्नाटक, असम, मिजोरम, तेलंगाना और बिहार में है।
उत्पीड़न देखने वाला उतना ही सज़ा का हक़दार होता है, जितना की उत्पीड़न करने वाला
ऐसी कई हजारों आयशा और हिना होंगी जिन को घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता होगा। दहेज की लालच में उन पर जुल्म ढाया जा रहा होगा। शर्म की बात तो यह है कि ,शासन-प्रशासन बिक चुका है, जिनको देश की रक्षा के लिए, वर्दी और पावर दी गई आज वे उसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस थानों में पुलिसकर्मी आज देश की रक्षा करने के लिए नहीं बल्कि रिश्वतखोरी करने के लिए बैठे हैं। महिलाओं के साथ उत्पीड़न करने वालों के साथ -साथ ऐसे पुलिसकर्मियों को भी सजा होनी चाहिए। क्योंकि वे भी सजा के उतने ही हकदार हैं, जितना उत्पीड़न करने वाला। क्योंकि उत्पीड़न देखने वाला भी एक अपराधी माना जाता है। फिर पुलिसकर्मियों को तो अपराध रोकने के लिए उन्हें वर्दी दी गई है। उत्पीड़न करने वाले ऐसे हर अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए ताकि आयशा और हिना के बाद कोई तीसरी महिला उत्पीड़न से परेशान होकर घरेलू हिंसा का शिकार ना हो, इससे पहले ही प्रशासन को और अधिक सख्त नियम बनाने होंगे ।