शीतला अष्टमी 2025: क्यों कहते हैं इसे बसौड़ा पर्व? जानें तिथि और महत्व और स्वास्थ्य से जुड़ा रहस्य !

भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का विशेष स्थान है। हिंदू धर्म में शीतला सप्तमी और अष्टमी का त्योहार खास महत्व रखता है।
शीतला अष्टमी 2025 का पर्व रोगों से मुक्ति और सुख-समृद्धि के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा और उनके स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के रोगों से रक्षा होती है।
शीतला अष्टमी 2025 तिथि
शीतला अष्टमी होली के बाद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखने और ठंडा भोजन (बासी खाना) ग्रहण करने की परंपरा है।
शीतला माता स्तोत्र का पाठ करें
शीतला माता के स्तोत्र का पाठ करने से रोग, संक्रमण और महामारी से बचाव होता है। कुछ प्रमुख श्लोक इस प्रकार हैं:
शीतलाष्टकम् –वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बराम्।
मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्॥
इस दिन विशेष रूप से शीतला माता की पूजा कर स्तोत्र, चालीसा और आरती का पाठ करना शुभ माना जाता है।
शीतला अष्टमी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, शीतला अष्टमी 2025 की अष्टमी तिथि 22 मार्च को सुबह 4:23 बजे शुरू होगी और 23 मार्च को सुबह 5:23 बजे समाप्त होगी। व्रत और पूजा का शुभ समय 22 मार्च को रहेगा।
शीतला अष्टमी को बसौड़ा पर्व क्यों कहा जाता है ?
शीतला अष्टमी को बसौड़ा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है, जैसे हलवा, मीठे चावल, पूरी आदि। परंपरा के अनुसार, लोग भी इस दिन एक दिन पहले बना हुआ भोजन ही ग्रहण करते हैं।
शीतला माता को बासी भोजन का भोग क्यों लगाया जाता है ?
होली जहां गर्मी का प्रतीक मानी जाती है, वहीं शीतला माता शीतलता की देवी मानी जाती हैं। बासी भोजन शीतलता का प्रतीक होता है, इसलिए इसे माता को भोग लगाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, होली पर ताजा भोजन चढ़ाया जाता है, जबकि शीतला सप्तमी पर बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। यह परंपरा जीवन में शीतलता और धैर्य के महत्व को दर्शाती है।