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विश्व डेरी शिखर सम्मेलनः हमारे वैज्ञानिकों ने लंपी रोग की काट कर ली है तैयार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया विश्व डेरी शिखर सम्मेलन का उद्घाटन, लोगों को किया संबोधित

ग्रेटर नोएडा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पशुओं में पाये जाने वाले रोग लंपी की काट हमारे वैज्ञानिकों ने तैयार कर ली है। यह पूरी तरह से स्वदेशी है। पिछले कुछ समय से देश के कई प्रदेशों में लंपी नामक से पशुओं की मौत हो चुकी है। विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर केंद्र सरकार इसे नियंत्रित करने की भरपूर कोशिश कर रही है।

 

 

विश्व डेरी शिखर सम्मेलन का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में आयोजित विश्व डेरी शिखर सम्मेलन (वर्ल्ड डेयरी सम्मिट-2022) का फीता काटकर उद्घाटन करने के बाद सम्मेलन में मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में विभिन्न देशों के अनेक प्रतिनिधियों के साथ देश के विभिन्न राज्यों के किसान, अधिकारी, कई राज्यों के मुख्यमंत्री आदि शामिल हैं।

डेयरी क्षेत्र की असली ताकत छोटे किसान

सम्मेलन में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विश्व के अन्य विकसित देशों से अलग भारत में डेरी क्षेत्र की असली ताकत छोटे किसान हैं। आज भारत में डेरी सहकारिता का ऐसा विशाल नेटवर्क बन गया है जिसकी मिसाल विश्व भर में मिलना मुश्किल है।

पशुओं के वैक्सिनेशन पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में हम पशुओं के यूनिवर्सल वैक्सिनेशन पर जोर दे रहे हैं। हमरा संकल्प है कि वर्ष 2025 तक शत-प्रतिशत पशुओं को पैर और मुंह संबंधित रोगों के प्रतिरोधक क्षमता वाले ब्रुसलॉसिस की वैक्सीन लगाएंगे। इस दशक के अंत तक इन बीमारियों से पशु पूरी तरह से मुक्ति पा जाएं, इसका लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।

खेती में विविधता बहुत जरूरी

प्रधानमंत्री ने कहा कि खेती में विविधता बहुत जरूरी है। मोनोकल्चर ही खेती का समाधान नहीं है। यही बात पशुपालन पर भी लागू होता है। इसलिए आज भारत में देसी प्रजातियों और संकर प्रजातियों दोनों पर ही ध्यान दिया जा रहा है।

पुशओं पर सबसे बड़ा डाटा बेस हो रहा तैयार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत डेरी पशुओं का सबसे बड़ा डेटाबेस तैयार कर रहा है। डेरी क्षेत्र से जुड़े हर पशु की टैगिंग की जा रही है। आधुनिक टेक्नोल़ॉजी की मदद से हम पशुओं की बायोमीट्रिक पहचान कर रहे हैं। हमने इसे “पशु आधार’’ नाम दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 के बाद से हमारी सरकार ने भारत के डेरी क्षेत्र की क्षमता में वृद्धि के लिए लगातार काम कर रही है। इसी का परिणाम है कि दूध उत्पादन तो बढ़ा ही है किसानों की आय भी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में भारत में 146 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता था। अब ये बढ़कर 210 मिलियन टन तक पहुंच गया है। इसका मतलब यह हुआ कि तकरीबन 44 फीसद की इसमें बढ़ोत्तरी हुई है।

डेरी क्षेत्र में महिलाएं महत्वपूर्ण

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के डेरी क्षेत्र में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। वे 70 फीसदी कामों को नियंत्रित करती हैं। भारत के डेरी क्षेत्र की वास्तविक कर्णधार महिलाएं ही हैं। इतना ही नहीं भारत के डेरी सहकारिता में भी एक तिहाई से अधिक सदस्य महिलाएं ही हैं।

डेरी क्षेत्र में 70 फीसद पैसा किसानों को ही

प्रधानमंत्री ने कहा कि डेरी क्षेत्र की इस पूरी प्रकिया के बीच में कोई मिडिल मैन नहीं होता और ग्राहकों से जो पैसा मिलता है, उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा किसानों को ही मिलता है। पूरे विश्व में इतना ज्यादा अनुपात किसी और देश में नहीं मिलता है।

सम्मेलन जानकारी बढ़ाने में भूमिका निभाएगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि यह सम्मेलन विचार, तकनीक, विशेषज्ञता और डेयरी क्षेत्र से जुड़ी परंपराओं के स्तर पर एक दूसरे की जानकारी बढ़ाने और सीखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगी। आज भारत में डेयरी सहकारी का एक ऐसा विशाल नेटवर्क है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में मिलना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि ये डेरी सहकारिता देश के दो लाख से ज्यादा गांवों में करीब दो करोड़ किसानों से दिन में दो बार दूध जमा करती है और उसे ग्राहकों तक पहुंचाती है।

आठ करोड़ परिवार डेरी क्षेत्र पर निर्भर

प्रधानमंत्री ने  कहा कि उन्हें खुशी हो रही है कि भारत में आठ करोड़ से अधिक परिवार डेरी क्षेत्र पर निर्भर हैं। इसी से उनकी आजीविका चलती है। उन्होंने कहा कि डेरी क्षेत्र का सामर्थ्य न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देता है, बल्कि ये दुनिया भर में करोड़ों लोगों की आजीविका का भी प्रमुख साधन है।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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